बिहार में जारी आधारित जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को रोक लगा दी। पटना उच्च न्यायालय के इस अंतरिम आदेश को नीतीश सरकार के लिए एक झटका समझा जा रहा है। इधर, अदालत के इस निर्णय के लिए भाजपा ने जहां सरकार को जिम्मेदार बताया है, वहीं जदयू सरकार के बचाव में उतर गई है।
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर बुधवार को सुनवाई की थी, लेकिन फैसले को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया था।
जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अंतरिम आदेश जारी किया।
अदालत ने अपने आदेश में हालांकि जाति जनगणना को लेकर एकत्रित डाटा को सुरक्षित रखने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, ऋतुराज और अभिनव श्रीवास्तव ने बहस की। याचिकाकर्ता का कहना था कि जाति गणना कराना संविधान के प्रावधानों के विपरित है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में जाति आधारित गणना का दूसरा और आखिरी चरण चल रहा है। मई तक इस जाति जनगणना को पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है।
इधर, अदालत के इस आदेश के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने इस रोक के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना पर पटना उच्च न्यायालय की रोक के लिए सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं।
चौधरी ने कहा कि सरकार ने जातीय गणना को लेकर अदालत में अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रखा, जिसके कारण इस गणना पर रोक लगा दी गई।
उन्होंने कहा कि जब एनडीए की सरकार थी तब राज्य में जाति आधारित गणना राज्य में कराने का निर्णय लिया गया था, लेकिन आज गठबंधन की सरकार के दौरान इस पर अदालत द्वारा रोक लगा दी गई।
उन्होंने तो यहां तक कहा कि जो सरकार अपने डिसीजन को अदालत में सही साबित करने में असफल साबित हो रही हो, ऐसी सरकार को, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तो आधी बात याद ही नहीं रहती, वे तो मेमोरी लॉस सीएम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जाति आधारित गणना करवाना ही नहीं चाहती थी, जिस कारण जानबूझकर ऐसा करवाया गया।
इधर, जदयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में सर्वदलीय सहमति और विधान मंडल का सर्वसम्मत प्रस्ताव से संवैधानिक प्रावधानों के तहत जाति आधारित गणना का फैसला हुआ।
ऐसी स्थिति में पटना उच्च न्यायालय का ऐसा अंतरिम आदेश दिया जाना और इस निर्देश के साथ कि डाटा सुरक्षित रखा जाए यह तात्कालिक आदेश है। इसे लेकर राजनीतिक निहितार्थ जो निकाले जाए, लेकिन जो विधानमंडल का सर्वसम्मत प्रस्ताव है उसे राजनीतिक चश्मे से जरूर देखना चाहिए।
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Source : IANS