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संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से की विमान किराया सीमा तय करने की सिफारिश

समिति ने साथ ही कहा कि यह विमानन कंपनी यात्रियों को काफी खराब खाना मुहैया कराती है और चेक-इन काउंटर पर यात्रियों के साथ कुशलता से पेश नहीं आती।

Updated on: 05 Jan 2018, 10:58 PM

नई दिल्ली:

संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रपट में हाल ही में इंडिगो कर्मियों द्वारा एक यात्री की पिटाई किए जाने की कड़ी निंदा की।

समिति ने साथ ही कहा कि यह विमानन कंपनी यात्रियों को काफी खराब खाना मुहैया कराती है और चेक-इन काउंटर पर यात्रियों के साथ कुशलता से पेश नहीं आती। संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से विमान टिकट और टिकट रद्द करने पर लगने वाले शुल्क की सीमा तय करने की भी सिफारिश की है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू विमानन कंपनियां 'परिवर्तनशील मूल्य निर्धारण के वैश्विक परंपरा' के अनुसार चलती हैं।

मंत्री ने यातायात, पर्यटन और संस्कृति से संबंधित संसद की स्थायी समिति द्वारा व्यक्त की गई ताजा राय के बाद विमानन कंपनियों का बचाव किया।

सिन्हा ने पत्रकारों से कहा, 'वैश्विक स्तर पर विमानन कंपनियां परिवर्तनशील मूल्य प्रक्रिया का पालन करती हैं। हमें नहीं लगता कि हमारी विमानन कंपनियां वैश्विक स्तर से कुछ भी अलग कर रही हैं।' 

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रपट के अनुसार, 'समिति ने रेखांकित किया है कि त्योहारों और यात्रा तिथि के करीब की जाने वाली बुकिंग पर कुछ विमानन कंपनियां काफी पहले की बुकिंग के दौरान लिए जाने वाले किराए से 10 गुना अधिक किराया वसूलती हैं। समिति ने कहा है कि यह मनमानी है। नियंत्रण मुक्त वातावरण का मतलब अनियंत्रित ढंग से किराया वसूलने की आजादी नहीं है।'

रपट के अनुसार, 'आर्थिक व्यवहार्यता निर्णय लेने का एकमात्र मानदंड नहीं हो सकता। नागरिक उड्डयन मंत्रालय को इस व्यापक शोषण के बारे में जानकारी है, इसके बावजूद विमान किराए को नियंत्रित करने के लिए कदम नहीं उठाए जाते हैं। समिति इसलिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सभी क्षेत्रों में विमान टिकट के अधिकतम किराए पर विचार करने की सिफारिश करती है।'

इसके अलावा समिति ने कहा कि निजी विमानन कंपनियां टिकट रद्द करने में मनमानी करती हैं।

रपट के अनुसार, 'विमानों के समय बदलने, टिकट रद्द करने और नो-शो के लिए एकसमान या न्यूनतम राशि की सीमा तय होनी चाहिए। निजी विमानन कंपनियों द्वारा आकर्षक ऑफर की आड़ में यात्रियों से टिकट रद्द करने पर टिकट का पूरा किराया वसूला जाता है।'

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सिफारिश यह है कि विमानन कंपनियों को टिकट रद्द कराने के शुल्क के तौर पर मूल किराए का केवल 50 प्रतिशत ही काटने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।

रपट के अनुसार, 'टिकट रद्द कराने पर यात्रियों से लिए गए शुल्क और ईंधन अधिभार को वापस किया जाना चाहिए। समिति ने इच्छा जाहिर की कि डीजीसीए को नियमिति अंतराल पर जांच से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रद्दीकरण शुल्क का भार उपभोक्ताओं पर न पड़े।'

संसदीय समिति ने कहा है कि विमानन कंपनी को यात्रियों के साथ मित्रवत होने की जरूरत है और इनके कर्मचारियों को 'कृपया' व 'शुक्रिया' जैसे शब्दों का इस्तेमाल सीखना चाहिए।

समिति की रपट के अनुसार, 'समिति ने पाया है कि हाल में एयरलाइन कर्मियों (जमीनी कर्मचारियों व कैबिन क्रू) ने पिटाई, अभद्र व्यवहार की कई घटनाओं को अंजाम दिया है। इसमें से कुछ घटनाओं की रपट मीडिया में आई और बहुत सारी घटनाएं प्रकाश में ही नहीं आईं। अधिकांश सदस्यों ने विमानन कंपनियों, खासतौर से इंडिगो में दुर्व्यहार की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि विमानन कंपनियों के कर्मचारियों के व्यवहार बहुत ही निम्नस्तर के, अक्सर असहयोगात्मक व अशिष्ट थे।'

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26 पृष्ठों की इस रपट में 'एयरलाइंस के उपभोक्ताओं की संतुष्टि सुधार से जुड़े मुद्दों' को नागरिक उड्डयन अधिकारियों व उद्योग के विभिन्न हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा कर तैयार किया गया है।

समिति ने कहा कि महज कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके विमानन कंपनियां दोषमुक्त नहीं हो सकतीं।

रपट के अनुसार, 'समिति ने पाया कि विमानन कंपनी को प्रभावित करने वाली समस्याएं निजी नहीं हैं, ये संस्थागत हैं। इंडिगो जैसे एक संस्थान को अपने यात्रियों से मित्रवत व्यवहार का तरीका विकसित करना चाहिए। समिति का मानना है कि बाजार में प्रमुख हिस्सेदार होने के नाते इंडिगो को अपने भीतर की कमियों व अभद्र व्यवहार के कारणों पर गौर करने की जरूरत है। समिति इस बात पर जोर देती है कि कर्मचारियों का अक्खड़ व्यवहार बंद होना चाहिए।'

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