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तीन तलाक पर हो सकती है तीन साल की जेल, मोदी कैबिनेट बिल पर लगाएगी मुहर

शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक संबंधी बिल को पेश कर सकती है।

Updated on: 14 Dec 2017, 07:55 PM

highlights

  • तीन तलाक संबंधी बिल को शीत सत्र में पेश करेगी केंद्र सरकार
  • शुक्रवार को मोदी कैबिनेट बिल को दे सकती है मंजूरी, तीन साल सजा का है प्रावधान
  • सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया था

नई दिल्ली:

शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक संबंधी बिल को पेश कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को तीन तलाक को गैर-जमानती अपराध बनाने वाले बिल को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है।

मोदी सरकार 'मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल' नाम से इस बिल को लाएगी। कानून बनने के बाद यह सिर्फ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। इस कानून के बाद कोई भी अगर तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा। कानून में तीन तलाक पर तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान हो सकता है।

तीन तलाक के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शुरुआत से ही मुखर रही है। बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने इसके खिलाफ जरूरी कदम नहीं उठाए।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले दिनों कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून लाने वाली है। मंत्री ने कहा, 'यह मामला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के कार्यकाल के समय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने इसपर अदालत में जवाब दाखिल नहीं किया। लेकिन हमने इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट किया है।'

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तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया था।

हालांकि, कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पुरुषों के खिलाफ किसी भी दंडनीय प्रावधान के अभाव में अब भी लोग तीन तलाक दे रहे हैं। इसे मौलवियों का एक तबका अभी भी वैध ठहरा रहा है। इस प्रथा के खिलाफ महिलाओं को थोड़ी सुरक्षा मिली है।

पिछले दिनों एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुद्दे पर दिए गए फैसले को अस्पष्ट बताते हुए कहा था कि यह कोई नहीं कह सकता कि एक बार में तीन दफा तलाक बोलने पर शादी समाप्त हो जाएगी या फिर उसे केवल एक तलाक माना जाएगा। उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि सरकार कैसे संसद में विधेयक ला सकती है।

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