सरकार का आश्वासन, जरूरत होने पर पीएम देंगे संसद में बयान
नोटबंदी को लेकर आम आदमी को हो रही परेशानी के विरोध में विपक्ष के हंगामे को लेकर संसद में गतिरोध बना हुआ है।
highlights
- नोटबंदी के विरोध को लेकर संसद में गतिरोध जारी
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर अड़ा विपक्ष
- सरकार के कहा जरूरत पड़ने पर पीएम देंगे चर्चा में दखल
New Delhi:
नोटबंदी को लेकर आम आदमी को हो रही परेशानी के विरोध में विपक्ष के हंगामे को लेकर संसद में गतिरोध बना हुआ है। शीतकालीन सत्र का तीसरा हफ्ता नोटबंदी पर हुए हंगामे की भेंट चढ़ चुका है।
विपक्ष नोटबंदी के मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग पर अड़ा हुआ है। वहीं सरकार अभी तक पीएम मोदी के बयान को लेकर इनकार कर रही थी लेकिन सोमवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वासन दिया कि जरूरत पड़ने पर प्रधानमंत्री संसद की चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। पीएम के संसद में बयान दिए जाने के आश्वासन के बाद सदन में मौजूद गतिरोध खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई है।
विपक्ष के भारी हंगामे के कारण आज लोकसभा जहां दो बार के स्थगन वहीं राज्यसभा तीन बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर नियमों में संशोधन वाला एक महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किया।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री के सदन में मौजूद रहने पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आज सारे देश में आक्रोश दिवस मनाया जा रहा है। मोदीजी के फैसले के लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है।
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है।
वहीं सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हम सभी लोग मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और बोलें। राज्यसभा में नकवी ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पास न तर्क हैं, न तथ्य हैं। वह केवल अलग अलग बहाने बनाकर चर्चा को टालना चाहता है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि विपक्षी पार्टियों की बैठक हुई थी जिसमें हमने नोटबंदी के कारण आम आदमी को होने वाली परेशानियों के विरोध में सोमवार को ‘आक्रोश दिवस’ मनाने का फैसला किया था।
संसद के शीतकालीन सत्र के शुरू से ही इस मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध तीसरे हफ्ते भी टूटने का नाम नहीं ले रही है।
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