पारस भाई जी ने देशवासियों को दी होली की बधाई, बताया ऐसे खेलें रंग
हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व होता है. यह एक ऐसा पर्व है जो अमीर, गरीब, उच्च-नीच, गोरे-काले सभी का भेदभाव मिटा देता है, क्योंकि रंगों का यह पर्व हर किसी के झूठे अहम को नष्ट कर, हर धर्म हर जात पात के व्यक्ति को एक रंग में रंग देता है.
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व होता है. यह एक ऐसा पर्व है जो अमीर, गरीब, उच्च-नीच, गोरे-काले सभी का भेदभाव मिटा देता है, क्योंकि रंगों का यह पर्व हर किसी के झूठे अहम को नष्ट कर, हर धर्म हर जात पात के व्यक्ति को एक रंग में रंग देता है. यह धर्म वैसे तो आज पूरे विश्व में किसी-न-किसी रूप में प्रचलित हो रहा है पर हिन्दू धर्म में इस पर्व की विशेष मान्यता है और इसके पीछे सनातन की कई पौराणिक कथाएं हमारे प्राचीन ग्रंथों में लिखी गई हैं.
मान्यता है कि एक छोटा-सा बच्चा जिसका नाम प्रह्लाद था. वह हमेशा प्रभु भक्ति में लीन रहता था पर स्वयं को भगवान मान बैठे उसके पिता हिरण्य कश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को परमात्मा की भक्ति से दूर करना चाहा. इसके लिए उसने प्रह्लाद को बहुत सी यातनाएं दीं और तो और होलिका दहन के दिन अपनी बहन होलिका के जरिए अपने ही पुत्र प्रह्लाद को जिंदा जला देना चाहा, लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिए बनाई चिता में स्वयं होलिका जलकर मर गईं. इसलिए इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी है.
यह भी पढ़ें : नवरात्र की पूजा-विधि और आरती जानें पारस भाई की जुबानी
इस कथा से हमें यह शिक्षा भी मिलती है कि कुछ भी हो जाए पर धर्म से पीछे कभी न हटो. परमात्मा का नाम लेते जाओ वो आपके कष्ट स्वम् दूर करेंगे और कभी भी परमात्मा से विश्वास मत हटाओ क्योंकि वो जानते हैं तुम्हें क्या चाहिए.
होली का महत्व
मान्यता है कि घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए होली की पूजा की जाती है. होलिका दहन के लिए कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है और फिर शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है. होलिका दहन के पावन दिन के बाद अगला दिन रंगों से भरा होता है और सभी लोग एक दूसरे पर इस दिन रंग लगाते हैं, इसलिये इसे रंगवाली होली और दुलहंडी भी कहा जाता है.
यह भी पढ़ें : श्राद्धों में क्या करे और पितृ दोष का उपचार कैसे करे? जानिए श्रीश्री पारस भाई जी से
पूर्णिमा तिथि के दिन प्रदोष काल में होली पूजा और होलिका दहन होता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है, जिसे धुलण्डी भी कहा जाता है और यह त्योहार तो अब केवल भारतवर्ष का ही नहीं रहा क्योंकि होली जैसे उत्साहवर्धक पर्व को अब दुनिया के कई देशों में मनाया जाने लगा है. क्योंकि आज के मानव का जीवन भागदौड़ से भरा है और यह रंगों का त्यौहार मानव जीवन की निराशाओं में आशाओं के रंग भर जाता है. वैसे भी रंग किसको अच्छे नहीं लगते हैं. कहा जाता है कि जो बच्चा अच्छे से अपनी पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा हो तो डॉक्टर उसे पेंटिंग करने की सलाह अवश्य देते हैं, क्योंकि रंग हमारी कल्पनाओं को एक नई पहचान देते हैं. इसी कारण आज सभी धर्मों के लोग रंगों से भरे इस त्योहार को दिल खोल कर मनाते हैं.
यह भी पढ़ें : कृषि कानूनों पर न तो सरकार को झुकना चाहिए और न ही किसानों कोः पारस भाई जी
पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने देशवासियों को होली की बधाई दी हैं. उन्होंने कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को लेकर कहा कि होली तो अवश्य मनाएं पर सावधानी भी अवश्य बरतें. सामाजिक दूरी, मुंह पर मास्क, समय-समय पर हाथ को सैनेटाइज करें, क्योंकि इस महामारी से बचने के लिए सावधानियां जरूर बरतें. पारस भाई ने लोगों से अपील की है कि लोग सुखी होली खेलें और गीली होली खलने से बचें. उन्होंने कहा कि गीली होली खेलने से भीगेंगे और आप बीमार हो सकते हैं. साथ ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं.
यह भी पढ़ें : शिव भक्त पारस भाई ने बताया- कैसे शिव की आराधना करने से भक्तों पर बरसती है कृपा
होली के पावन पर्व को लेकर पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने कहा कि देश में कोरोना का कहर फिर से बढ़ रहा है. होली का पर्व मुख्य रूप से रंगों का त्योहार है, लेकिन इस साल कैमिकल युक्त रंगों की बजाए अबीर-गुलाल से होली खेलिये. साथ ही एक-दूसरे को प्यार के रंगों में डुबोकर अपनी खुशी जाहिर कीजिए. होली के दिन लोग गले-सिकवे भुलाकर एक-दूसरे के गले जरूर मिलिए.
पारस भाई ने बताया कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का भी विधान है. लोगों को इस दिन की जाने वाली पूजा-अर्चना का विशेष पुण्य प्राप्त होता है. सूर्योदय से चंद्रोदय तक पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. पूर्णिमा का व्रत रखने से इंसान के जीवन में सुख शांति और समृद्धि लाने वाला माना गया है.
पारस भाई ने कहा कि रंगों का त्योहार होली दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं, जबकि दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को रंग और अबीर-गुलाल लगाते हैं. इस साल होलिका दहन 28 मार्च को होगा, जबकि 29 मार्च को रंगों से भरी होली का त्योहार मनाया जाएगा.
पारस भाई के अनुसार जानें होली की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 28 मार्च 2021 को देर रात 03:27 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्ति : 29 मार्च 2021 को रात 12:17 बजे तक
होलिका दहन : रविवार, 28 मार्च 2021
होलिका दहन मुहूर्त : शाम 6:37 से रात 08:56
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी