पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पेमरा) ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के आचरण से संबंधित सामग्री के प्रसारण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, आदेश में नियामक ने पिछले निर्देशों का उल्लेख किया, जिसमें सभी लाइसेंसधारियों को निर्देश दिया गया था कि वह राज्य संस्थानों के खिलाफ किसी भी सामग्री को प्रसारित करने से बचें।
डॉन ने बताया- प्राधिकरण ने कहा कि बार-बार निर्देशों के बावजूद, टेलीविजन चैनल माननीय न्यायाधीशों के आचरण पर लगातार चर्चा कर रहे और आरोपों को हवा देकर बदनाम करने का अभियान चला रहे थे।
इसने कहा कि किसी भी प्रकार की सामग्री को प्रसारित करना जो प्रथम ²ष्टया न्यायाधीशों के आचरण को संदर्भित करता है या सर्वोच्च न्यायपालिका के खिलाफ है, प्राधिकरण के कानूनों और शीर्ष अदालत के निर्णयों का सरासर उल्लंघन है।
पेमरा ने अपने आदेश में संविधान के अनुच्छेद 68 का हवाला भी दिया। कानून कहता है: <मजलिस-ए-शूरा (संसद)> में अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश के आचरण के संबंध में कोई चर्चा नहीं होगी। इसलिए, पेमरा (संशोधन) अधिनियम 2007 द्वारा संशोधित पेमरा अध्यादेश 2002 की धारा 27 (ए) में निहित प्राधिकरण की प्रत्यायोजित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सक्षम प्राधिकारी यानी अध्यक्ष पेमरा, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (समाचार बुलेटिन, वार्ता शो आदि) पर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के माननीय वर्तमान न्यायाधीशों के आचरण से संबंधित किसी भी सामग्री के प्रसारण/पुनप्र्रसारण को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करता है।
प्राधिकरण ने सभी टीवी चैनलों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि प्रभावी समय विलंब तंत्र स्थापित किया जाए और निष्पक्ष संपादकीय बोर्ड गठित किया जाए। आदेश में कहा गया है- आदेश का पालन नहीं करने की स्थिति में, पेमरा अध्यादेश, 2002 की धारा 30 के तहत जनहित में बिना किसी कारण बताओ नोटिस के लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा।
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Source : IANS