सिंधु जल संधि के तहत पनबिजली परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए पाकिस्तानी दल पहुंचा भारत

पिछले साल पाकिस्तान ने किशनगंगा जलविद्युत परियोजना को लेकर भारत पर आरोप लगाया था कि बांध बनाकर सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है.

पिछले साल पाकिस्तान ने किशनगंगा जलविद्युत परियोजना को लेकर भारत पर आरोप लगाया था कि बांध बनाकर सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है.

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saketanand gyan
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सिंधु जल संधि के तहत पनबिजली परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए पाकिस्तानी दल पहुंचा भारत

सिंधु जल संधि के तहत निरीक्षण को लेकर पाकिस्तानी दल पहुंचा भारत

जम्मू-कश्मीर में सिंधु जल संधि के तहत चेनाब बेसिन में पनबिजली परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए तीन सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल रविवार को भारत पहुंचा है जो 28-31 जनवरी तक परियोजनाओं का निरीक्षण करेगा. सिंधु जल के पाकिस्तानी आयुक्त सैयद मेहर अली शाह अपने दो सलाहकारों के साथ रविवार को नई दिल्ली पहुंचे. यह प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर के 330 मेगावाट वाले किशनगंगा जलविद्युत परियोजना, 1000 मेगावाट वाले पाकल दुल, लोअर कलनाई, रतले और अन्य पनबिजली परियोजनाओं का भी दौरा करेगी.

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शनिवार को वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था, 'यह दौरा भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौता 1960 के तहत तय दायित्वों का एक हिस्सा है. संधि के तहत, दोनों देशों के आयुक्तों को 5 साल के अंतराल पर दोनों तरफ सिंधु बेसिल के कार्यस्थल और काम की जांच करना अनिवार्य है.'

समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अब तक दोनों देशों के बीच 118 दौरे हो चुके हैं. इससे पहले आयुक्तों का पाकिस्तान और भारत में पिछला दौरा क्रमश: जुलाई 2013 और सितंबर 2014 में हुआ था. मौजूदा 5 सालों में अब तक कोई दौरा नहीं हुआ था जो अवधि मार्च 2020 में खत्म होती.

पाकिस्तानी आयुक्त का यह दौरा पहले पिछले साल अक्टूबर में सूचीबद्ध था लेकिन जम्मू-कश्मीर में निकाय और पंचायत चुनावों के कारण स्थगित कर दिया गया था. पाकिस्तान के इस दौरे के बाद भारतीय आयुक्त के द्वारा दोनों पक्षों की सहमति से तय की गई तारीख पर दौरा किया जाएगा.

पिछले साल दौरे को लेकर बनी थी सहमति

पिछले साल अगस्त में लाहौर में स्थायी सिंधु जल आयोग (पीसीआईडब्लू) की 115वीं बैठक के परिणामस्वरूप भारत ने पाकिस्तानी विशेषज्ञों को पहले सितंबर में और उसके बाद अक्टूबर में परियोजनाओं के निरीक्षण की इजाजत दी थी, लेकिन इसे बाद में स्थगित कर दिया गया था.

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PCIW की बैठक में सिंधु जल संधि 1960 के प्रावधानों के आधार पर विभिन्न जल परियोजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर तकनीकी बातचीत हुई थी. दोनों देशों ने संधि के तहत दोनों तरफ से सिंधु बेसिन में स्थायी इंड्स कमिश्नरों की यात्रा की अनिवार्यता पर सहमति जताई थी.

सिंधु जल समझौता और विवाद

दोनों देशों के बीच 1960 में की गई इस संधि में व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम नदी शामिल हैं. विश्व बैंक की मध्यस्थता में संधि के तहत भारत को सतलज, व्यास औप रावी नदियों के जल का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है जबकि चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों के जल का उपयोग करने का अधिकार पाकिस्तान को दिया गया है।

पिछले साल पाकिस्तान ने किशनगंगा जलविद्युत परियोजना को लेकर भारत पर आरोप लगाया था कि बांध बनाकर सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है. वहीं भारत ने कहा था कि उसे संधि के तहत अपने क्षेत्र में प्रवाहित नदियों की सहायक नदियों पर जलविद्युत संयंत्र लगाने का अधिकार है.

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पाकिस्तान को आशंका है कि इससे उसके क्षेत्र में पानी का प्रवाह कम हो जाएगा. विश्व बैंक सिंधु जल संधि का केंद्रीय निकाय (नॉडल बॉडी) है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल मई में 330 मेगावाट के किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना का उद्घाटन किया था. पाकिस्तान ने कहा था कि विवाद को सुलझाने से पहले परियोजना का उद्घाटन सिंधु जल संधि का उल्लंघन है.

Source : News Nation Bureau

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