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पाक आतंकी कश्मीर में प्रयोग कर रहे काबुल में छोड़े गए अमेरिकी सेटेलाइट सेट

अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में इरेडियम सेटेलाइट कम्युनिकेशन सेट भी पीछे छोड़ गए थे. इन सेटेलाइट सेट्स का इस्तेमाल अब कश्मीर (Kashmir) में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादी (Terrorists) कर रहे हैं.

Updated on: 19 Feb 2022, 09:57 AM

highlights

  • अफगानिस्तान से जाती अमेरिकी सेना पीछे छोड़ गई थी सैन्य साज-ओ-सामान
  • ऐसे ही छोड़े गए थे आधुनिक अमेरिकी इरेडियम सेटेलाइट कम्युनिकेशन सेट्स
  • कश्मीर में अलग-अलग स्थानों पर एक साथ कई सेटेलाइट सेट्स पाए गए सक्रिय 

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) में बीते साल अगस्त में तालिबान राज की दो दशकों बाद वापसी हुई थी. काबुल पर तालिबान (Taliban) का कब्जा होते ही अमेरिका ने अपने नागरिकों और सैनिकों की वापसी प्रक्रिया तेज कर दी थी. उस वक्त ऐसी खबरें भी आई थीं कि जल्दबाजी में काबुल छोड़ कर गए अमेरिकी सैनिकों के साज-ओ-सामान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. अब भारत की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमेरिकी सैनिक इरेडियम सेटेलाइट कम्युनिकेशन सेट भी पीछे छोड़ गए थे. इन सेटेलाइट सेट्स का इस्तेमाल अब कश्मीर (Kashmir) में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादी (Terrorists) कर रहे हैं.

13 फरवरी को पहली बार पकड़ में आए सिग्नल
सूत्रों के मुताबिक एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इरेडियम सेटेलाइट कम्युनिकेशन सेट कश्मीर में सक्रिय हैं. इन्हीं इरेडियम सेटेलाइट सेट का इस्तेमाल अमेरिकी सेना करती थी. सूत्रों के मुताबिक कश्मीर में 13 फरवरी को पहली बार इन सेटेलाइट सिस्टम की फ्रीक्वेंसी पकड़ी गई. उस वक्त लगभग 8 कम्युनिकेशन सिस्टम एक्टिव थे, जिनके सिग्नल कश्मीर की शम्शाबाड़ी रेंज और पीर पंजाल से मिल रहे थे. इसके बाद कई अन्य जगहों पर भी इरेडियम सेटेलाइट सिस्टम सक्रिय हुए. रिपोर्ट के मुताबिक बांदीपोरा, गांदरबल, कुपवाड़ा, बड़गाम और पुलवामा में भी इनके सिग्नल पकड़े गए. माना जा रहा है कि अमेरिकी सेना जो सेट अफगानिस्तान में छोड़ गई है, वही आतंकियों के हाथ लग गए हैं.

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कहीं से भी किसी स्थिति में संवाद करने में सक्षम
भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कि इरेडियम सेटेलाइट एक अमेरिकी कंपनी बनाती है. इनमें 66 एक्टिव और 9 रिजर्व सेटेलाइट होते हैं ताकि किसी भी स्थिति में इनके जरिए संवाद की स्थिति में कोई अड़चन नहीं आए. इनका संपर्क धरती से 780 किलोमीटर ऊपर तैनात सेटेलाइट से रहता है. इनका इस्तेमाल करने के लिए हैंडहेल्ड ट्रांसमीटर और रिसीवर होते हैं, जिसके जरिए दुनिया में कहीं भी संवाद किया जा सकता है. अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में इन्हीं का इस्तेमाल कर रही थी. कश्मीर में इनके पाए जाने से सुरक्षा बलों के लिए एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है.