पाकिस्तान में होने वाले सिंधु जल वार्ता में हिस्सा लेगा भारत
स्थायी सिंधु आयोग द्विदलीय संस्था है, जो विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों देशों द्वारा सन् 1960 में हस्ताक्षर किए गए सिंधु जल समझौते के क्रियान्वयन पर नजर रखती है।
नई दिल्ली:
पाकिस्तान में मार्च में होने वाले सिंधु जल समझौते पर वार्ता में भाग लेने के लिए पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आमंत्रण को स्थायी सिंधु आयोग के भारतीय आयुक्त ने स्वीकार कर लिया है।
स्थायी सिंधु आयोग द्विदलीय संस्था है, जो विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों देशों द्वारा सन् 1960 में हस्ताक्षर किए गए सिंधु जल समझौते के क्रियान्वयन पर नजर रखती है।
इस आयोग को साल में एक बार बैठक करना होता है, जो बारी-बारी से भारत तथा पाकिस्तान में होती है। इसमें दोनों पक्षों के आयुक्त हिस्सा लेते हैं तथा संधि के क्रियान्वयन से जुड़ी तकनीकी मुद्दों पर चर्चा करते हैं। सन् 1960 से लेकर अबतक आयोग की 122 बैठकें हो चुकी हैं।
पिछली बैठकों में यह देखा गया है कि आयोग की बैठक की तारीख दोनों पक्षों के आयुक्तों की सहमति से तय होती है और इसका एजेंडा भी दोनों आपस में ही तय करते हैं, जिसमें भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।
नई दिल्ली इस बैठक को अन्य बैठकों की तरह ही देखता है, जिसमें संधि के क्रियान्वयन से संबंधित तकनीकी मुद्दों पर चर्चा होगी और यह भारत तथा पाकिस्तान के बीच वार्ता नहीं है।
बीते साल 18 सितंबर को जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी स्थित सैन्य ब्रिगेड मुख्यालय पर आतंकवादी हमले के बाद यह संधि खतरे में पड़ गई है। हमले में 19 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
हमले का आरोप पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर लगाते हुए नई दिल्ली ने कहा कि वह सिंधु जल समझौते की समीक्षा करेगा। संधि के मुताबिक, भारत का तीन पूर्वी नदियों-ब्यास, रावी तथा सतलज- पर नियंत्रण है, जो पंजाब से होकर बहती हैं।
जम्मू एवं कश्मीर इस समझौते की समीक्षा की मांग कर रहा है, जिसके कारण राज्य नदी के पानी के इस्तेमाल से महरूम हो रहा है।
संधि के तहत विश्व बैंक की मौजूदा प्रक्रियाएं किशनगंगा (330 मेगावाट) तथा रातले (850 मेगावाट) पनबिजली संयंत्र के लिए चिंता का विषय है, जिनका निर्माण भारत में क्रमश: किशनगंगा तथा चेनाव नदियों पर हो रहा है। पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं पर आपत्ति जताई है।
भारत ने बीते साल नवंबर में तकनीकी मतभेदों के समाधान के लिए एक ही समय में दो प्रक्रियाओं को शुरू करने को लेकर विश्व बैंक की कानूनी असमर्थता की ओर इशारा किया था। भारत ने विश्व बैंक से तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति की मांग की है, जबकि पाकिस्तान ने एक मध्यस्थता अदालत की मांग की है।
बीते साल दिसंबर में विश्व बैंक ने दोनों देशों को अपनी असहमतियों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार करने को मंजूरी देने के लिए अलग-अलग प्रक्रियाएं शुरू करने पर रोक लगाने की घोषणा की थी।
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विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने एक बयान में कहा, "हम यह रोक सिंधु जल समझौते की सुरक्षा, भारत व पाकिस्तान को संधि के तहत मतभेदों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण पर विचार करने में मदद करने का अवसर देने तथा दो पनबिजली संयंत्रों के निर्माण को लेकर उसके आवेदन पर विचार के लिए लगा रहे हैं।"
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उन्होंने कहा, "यह दोनों देशों के लिए मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का एक अवसर है और संधि की भावना की तर्ज पर है।"
उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने इस साल इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ चर्चा के कुछ सप्ताह बाद यहां वित्त मंत्री जेटली से मुलाकात की थी।
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