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कश्मीर पर अकेला पड़ा पाक, आतंकियों के साथ से हो रहा नुकसानः अमेरिकी थिंक टैंक

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान (Pakistan) पूरी दुनिया में अलग थलग पड़ गया है. कश्मीर (Kashmir) पर रिपोर्ट में कांग्रेसिनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने कहा कि सैन्य ऐक्शन से यथा-स्थिति बदलने के लिए पाकिस्तान की क्षमता हाल के सालों में कम हुई है.

Updated on: 22 Jan 2020, 06:15 PM

नई दिल्ली:

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान (Pakistan) को दुनिया का कोई देश गंभीरता से नहीं ले रहा है. एक अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का जवाब देने के लिए पाकिस्तान के पास विकल्प बेहद सीमित हैं. हाल ही में जारी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की रिपोर्ट में कई विशेषज्ञों ने कहा है कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान की साख खराब है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान आतंकी समूहों का साथ देता रहा है. इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पाकिस्तान की क्षमता हाल के सालों में कम हुई है. इसका मतलब है कि वह कूटनीतिक रास्ते से ही जवाब देगा.

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धारा-370 हटने पर अकेला पड़ा पाक
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने 13 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर से धार-370 हटने के बाद से पाकिस्तान दुनिया भर में कूटनीतिक रूप से अकेला पड़ गया है. इस मामले में केवल तुर्की ने ही इसका साथ देने की बात कही है. पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त को धारा-370 हटने के बाद से इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिल रही है. दूसरी तरफ भारत साफ कह चुका है कि यह भारत का आंतरिक मामला है.

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UNSC में चर्चा पर भी नहीं आया बयान
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए भरपूर कोशिश की. चीन की मदद से पाकिस्तान ने UNSC में एक सत्र बुलवाया. ऐसा पहली बार हुआ कि कश्मीर मामले में पांच दशक में कोई बैठक की गई है लेकिन यह बैठक बंद दरवाजे में हुई और इस पर कोई बयान भी जारी नहीं किया गया.

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पाकिस्तान के पास नहीं हैं विकल्प
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के बाद विकल्प काफी कम हैं. इस रिपोर्ट में अधिकतर विशेषज्ञों ने माना कि इस्लामाबाद की साख काफी कम हो गई है. पाकिस्तान ने आतंकियों का साथ देकर अपनी साख खो दी है. पाकिस्तान के पास भारत को जवाब देने के विकल्प भी काफी कम हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मानवाधिकार के मामले में पाकिस्तान और उसके दोस्त चीन दोनों की साख कम है.