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पाकिस्तान-चीन के छक्के छुड़ा देगा भारतीय वायुसेना का नया 'अस्त्र', IAF में होगा शामिल

Pakistan China के छक्के छुड़ाने के लिए 15 साल के अथक परिश्रम के बाद स्वदेश में निर्मित भारत की पहली हवा से हवा में मार करने वाली 'अस्त्र' (Astra) मिसाइल वायु सेना में शामिल होने के लिए तैयार है.

Updated on: 29 Sep 2019, 10:28 AM

highlights

  • भारत की पहली हवा से हवा में मार करने वाली 'अस्त्र' मिसाइल वायु सेना में शामिल होने को तैयार.
  • 15 साल के अथक इंतजार और परिश्रम के बाद पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित है अस्त्र.
  • भारत 'अस्त्र' मिसाइल तैयार कर अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल की श्रेणी में शामिल हो गया है.

नई दिल्ली:

15 साल के अथक इंतजार और परिश्रम के बाद पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित भारत की पहली हवा से हवा में मार करने वाली 'अस्त्र' (Astra) मिसाइल (Beyond Visual Range Air To Air Missile-BVRAAM) वायु सेना में शामिल होने के लिए तैयार है. डीआरडीओ (DRDO) को उम्मीद है कि वायु सेना (Indian Air Force) शुरुआत में अपने सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi 30 MKI) जेट के लिए कम से कम 200 मिसाइल का ऑर्डर देगी. इसके साथ ही आरडीओ 'अस्त्र' की मारक क्षमता 110 से 160 किलोमीटर करने की दिशा में भी प्रयासरत है. बालाकोट पर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) के बाद पाकिस्तान के दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के बाद से ही ऐसी विध्वंसक शक्तियों से भरपूर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की जरूरत कहीं शिद्दत से महसूस की जा रही थी.

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दुनिया में सबसे बेहतरीन है 'अस्त्र'
डीआरडीओ चीफ डॉ.जी सतीश रेड्डी के मुताबिक, 'अस्त्र (Astra) आज के समय में दुनिया के सबसे बेहतरीन BVRAAM मिसाइल में से एक है. उन्होंने विश्वास जताया कि हम अपनी योग्यता के बलबूते इसकी मारक क्षमता और बढ़ा सकते हैं. भारत अस्त्र सरीखी उन्नत युद्धक मिसाइल तैयार कर अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल की श्रेणी में शामिल हो गया है. यह 3.7 मीटर लंबी और 154 किलोग्राम वजनी मिसाइल है. कीमत के आधार पर यह रूस, फ्रांस और इजरायल के BVRAAM से कहीं सस्ती है.

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तेजस भी होगा Astra से लैस
गौरतलब है कि रूस के सुखोई के बाद अब हल्के युद्धक जेट स्वदेशी तेजस (Tejas) को भी अस्त्र से लैस किया जाएगा. डीआरडीओ इसको लेकर काफी उत्साहित है क्योंकि इसका पांच बार सफल परीक्षण किया जा चुका है. इसका पिछले सप्ताह ओडिशा के चांदीपुर में तट से दूर परीक्षण किया गया था. डीआरडीओ के सूत्रों के मुताबिक, 'इसने लक्ष्य को 80 से 86 किलोमीटर की दूरी में पल भर में हिट किया. इस प्रोग्राम के लिए विकसित की गई टेक्नोलॉजी भविष्य के लिहाज से हवा से हवा और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल को विकसित करने के लिए नींव (Building Block) का काम करेगी.

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एक चुनौती थी अस्त्र विकसित करना
भारत ने भले ही 5000 किलोमीटर तक मार करने वाली परमाणु मिसाइल अग्नि-5 (Agni V) विकसित कर ली है, लेकिन सच तो यही है कि अब तक BVRAAM बनाने में असफलती ही हाथ लगी थी. इसके पहले अस्त्र को भी कई तकनीकी समस्याओं से दो चार होना पड़ा था. इसको सबसे पहले 2004 में मंजूरी मिली थी और इसकी शुरुआती लागत 955 करोड़ रुपये थी.