पाकिस्तान को अब घर में घुसकर मारेंगे, सेना को मिले 13 देसी ब्रिजिंग सिस्टम
10-10 मीटर के ये 13 ब्रिजिंग सिस्टम यानी छोटा पुल पाकिस्तान के साथ सटी पश्चिमी सीमाओं पर संचालन के लिए हैं.
highlights
- 10-10 मीटर के 13 ब्रिजिंग सिस्टम सेना को समर्पित
- जल बाधाओं को दूर कर पश्चिमी सीमा पर आएगा काम
- ये पुल 70 टन तक वजनी टैंक ले जाने में सक्षम
नई दिल्ली:
भारतीय सेना (Indian Army) के मैकेनाइज्ड इंफेंट्री के सामने वेस्टर्न कमांड में सबसे बड़ी बाधा होती है नदी-नालों को पार करना. सेना के टैंक हो या बख्तरबंद गाड़ियां या फिर मिसाइल और सिग्नल सिस्टम, ये इतने भारी-भरकम होते हैं कि इन्हें एयर लिफ्ट करना भी आसान नहीं होता. इन्ही चुनौतियों से पार पाने में मदद करता है शार्ट स्पेन ब्रिजिंग सिस्टम. 10 मीटर स्पैन और 70 टन वजन को आसानी से झेलने वाले ब्रिजिंग सिस्टम को सेना प्रमुख की मौजूदगी में इंजीनियरिंग कॉर्पस में शामिल किया गया. डीआरडीओ (DRDO) की मदद से भारत में ही बने 13 ब्रिजिंग सिस्टम को सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने दिल्ली के परेड ग्राउंड में हरी झंडी दिखाई और इनका प्रदर्शन भी देखा.
वेस्टर्न सेक्टर में मूवमेंट आसान
इस मौके पर सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि आने वाले दिनों में 10 मीटर स्पेन के 100 ब्रिजिंग सिस्टम भारत के पास होंगे और वेस्टर्न सेक्टर में मूवमेंट बेहद आसान हो जाएगा. इससे पहले भरतीय सेना को नदी-नालों को पार करने के लिए पारंपरिक तरीके से ब्रिज बनाने होते थे जिसमें काफी मैन पावर और समय लगता था. कई जगहों पर पंटून ब्रिज से काम चलाना पड़ता था, तब जाकर सेना का मूवमेंट फॉरवर्ड लोकेशन में हो पाता था. भारत का अपना स्वदेशी ब्रिजिंग सिस्टम कुछ ही बरसों पहले सेना में शामिल हुआ, जिसमें 5 मीटर के 14 और 15 मीटर के 30 ब्रिजिंग सिस्टम भारतीय सेना के पास हैं. 10 मीटर के स्पेन में यह ब्रिजिंग सिस्टम की पहली खेप है. इसके आ जाने से अब 75 मीटर लंबी नदी की धाराओं पर भी सेना पुल बनाकर दुर्गम रास्ता पार कर सकती है.
यह भी पढ़ेंः चाचा को फंसाने के लिए मुनव्वर राना के बेटे ने रची थी साजिश, UP पुलिस ने किया खुलासा
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए सेना को अब स्वदेशी पुल मिल गए हैं. स्वदेशी रूप से विकसित शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम भारतीय सेना को समर्पित कर दिए गए. यह शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम छोटी नदियों और नहरों जैसी भौगोलिक बाधाओं से पार पाने में सेना की मदद करेंगे. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इसकी कीमत 492 करोड़ रुपये से अधिक है. इस प्रणाली को डीआरडीओ के साथ भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा डिजाइन किया गया है और देश के भीतर लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है. गौरतलब है कि पिछले एक साल में उद्योगों पर लगाए गए कोरोना प्रतिबंधों के बावजूद भारतीय सेना को ब्रिजिंग सिस्टम की आपूर्ति समय पर हो रही है. सेना में शामिल किए गए पुल यांत्रिक रूप से लांच किए गए हैं और विभिन्न प्रकार की जल बाधाओं पर 70 टन तक वजनी टैंक ले जाने में सक्षम हैं. इस प्रणाली की अनूठी विशेषता मौजूदा ब्रिजिंग सिस्टम के साथ इसकी अनुकूलता है, जो पश्चिमी सीमाओं के साथ सभी प्रकार की जल बाधाओं को दूर करने की प्रभावी क्षमता को बढ़ाती है.
यह भी पढ़ेंः सुनंदा पुष्कर मामले में टली सुनवाई, शशि थरूर को बनाया गया है आरोपी
युद्ध की स्थिति में गेम चेंजर
जनरल नरवणे के मुताबिक यह कोर ऑफ इंजीनियर्स की मौजूदा ब्रिजिंग क्षमता को कई गुना बढ़ाता है और हमारे पश्चिमी विरोधी के साथ भविष्य के किसी भी संघर्ष में मशीनीकृत संचालन के समर्थन में एक प्रमुख गेम-चेंजर होगा, क्योंकि इससे बड़ी आसानी से जल बाधाओं को दूर किया जा सकता है और दुश्मनों के किसी भी हरकत का समय पर मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत का अपनी सेना को सशक्त करने का एक और कदम है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Chanakya Niti: चाणक्य नीति क्या है, ग्रंथ में लिखी ये बातें गांठ बांध लें, कभी नहीं होंगे परेशान
-
Budhwar Ganesh Puja: नौकरी में आ रही है परेशानी, तो बुधवार के दिन इस तरह करें गणेश जी की पूजा
-
Sapne Mein Golgappe Khana: क्या आप सपने में खा रहे थे गोलगप्पे, इसका मतलब जानकर हो जाएंगे हैरान
-
Budhwar Ke Upay: बुधवार के दिन जरूर करें लाल किताब के ये टोटके, हर बाधा होगी दूर