नोटबंदी के मुद्दे पर लोक लेखा समिति (PAC) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तलब नहीं करेगी। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के वी थॉमस को नोटबंदी पर दिए अपने बयान से पीछे हटना पड़ा है। लोक लेखा समिति ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री समेत किसी भी नेता को समिति के समक्ष लेखा मामलों की सफाई के लिए नहीं बुलाया जा सकता है।
शुक्रवार को हुई पीएसी की बैठक में बीजेपी सदस्यों के ज़बरदस्त विरोध के बाद पीएसी ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को समिति के समक्ष सफाई के लिए बुलाना नियमों के विरुद्ध होगा।
करीब 9 घंटे चली पीएसी की बैठक में बीजेपी के सदस्यों प्रधानमंत्री को तलब किए जाने के बयान के लिए केवी थॉमस से माफी की मांगं की। हालांकि थॉमस ने माफी मांगने या किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण देने से इंकार कर दिया। बाद में बीजेडी नेता भर्तृहरि महताब के ड्राफ्ट एक स्टेटमेंट पर वह राजी हुए। इस स्टेटमेंट के मुताबिक, 'किसी भी नेता को लेखा मामलों में सबूत देने या जांच पर सुझाव के लिए नहीं बुलाया नहीं जा सकता है।'
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समिति ने माना की पीएसी अध्यक्ष अगर जरूरी समझें तो व्यक्तिगत तौर पर किसी नेता या मंत्री से लेखा मामलों के संबंध में अनौपचारिक मुलाकात कर सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक में बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने 1996 में सी सुब्रहमण्यम का भी जिक्र किया। निशिकांत के अनुसार सुब्रहमण्यम तब कृषि मंत्री थे और उन्हें समिति के समक्ष बुलाना एक ग़लत कदम था।
बताते चलें कि, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष केवी थॉमस ने नोटबंदी के मुद्दे पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को समन भेज 20 जनवरी को समिति के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है। इसी के साथ ही वी थॉमस ने आरबीआई के जवाबों से संतुष्ट न होने की स्थिति में प्रधानमंत्री को भी तलब करने की बात कही थी। जिसके बाद से यह विवाद सामने आया था।
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Source : News Nation Bureau