अब दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदम्बरम हाईकोर्ट में पक्ष रखेंगे।
दरअसल दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट के उस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल (LG) के पास राज्य सरकार से अधिक अधिकार है।
हाई कोर्ट ने फैसले में कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली के मुखिया हैं और सरकार के हर फैसले में उनकी मंजूरी जरूरी है। चिदम्बरम उन नौ वकीलों में से एक होंगे, जो पांच जज वाली संविधान पीठ के सामने दिल्ली सरकार का पक्ष रखेंगे।
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चिंदबरम ने एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, 'मुझे नहीं लगता, संविधान में LG को सुप्रीम शक्ति बनाया गया है, और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार कतई शक्तिहीन इकाई है।'
बता दें कि गुरुवार को दिल्ली में शासन संचालन का अधिकार किसके पास है? LG के पास या निर्वाचित राज्य सरकार के पास? इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की थी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच जजों (जस्टिस एके सीकरी, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण) की संविधान पीठ ने मामले पर सुनवाई शुरू की।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रावधान के मुताबिक उपराज्यपाल को संविधान ने प्रमुखता दी है। दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लेने के लिए उपराज्यपाल की सहमति लेनी होगी। बतौर केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली सरकार के अधिकारों की संविधान में व्याख्या की गई है और उसकी सीमाएं तय हैं।
कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली में प्रशासनिक कार्य करते हैं। दिल्ली सरकार को भी संविधान के दायरे में काम करना होगा क्योंकि भूमि, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर उसका नियंत्रण नहीं है।
अगर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच कोई मतभेद होगा तो मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
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Source : News Nation Bureau