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रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद चिदंबरम ने कहा, मोदी है तो मुमकिन है...

देश के विभिन्न हिस्सों में पेट्रोल की कीमतों में सौ का आंकड़ा पार करने के बाद, पिछले कुछ महीनों में रसोई गैस की कीमतों में भी तेजी आई है.

Updated on: 01 Jul 2021, 06:46 PM

highlights

  • पूर्व वित्त मंत्री ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
  • देश में पेट्रोल-डीजल के दाम सातवें आसमान पर

नई दिल्ली:

देश के विभिन्न हिस्सों में पेट्रोल की कीमतों में सौ का आंकड़ा पार करने के बाद, पिछले कुछ महीनों में रसोई गैस की कीमतों में भी तेजी आई है. इस पर कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P Chidambaram) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी है, तो मुमकिन है. उन्होंने आगे कहा कि देखिए कीमतें कैसे बढ़ी हैं. मोदी की सरकार और एलपीजी की कीमतें 2020 से 2021 तक, नवंबर 2020 में 594 रुपये से 1 जुलाई, 2021 तक 834 रुपये हो गई है.

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तेल कंपनियों ने घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये की बढ़ोतरी की है. दिल्ली में अब घरेलू सिलेंडर की कीमत 834.50 रुपये होगी. संशोधित दर 1 जुलाई से लागू है. दूसरी ओर, राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को पेट्रोल की कीमत 98.81 रुपये प्रति लीटर और डीजल 89.18 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

1 मई को 90.40 रुपये प्रति लीटर की कीमत से शुरू होकर अब राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत 98.81 रुपये प्रति लीटर हो गई है, पिछले 60 दिनों में 8.41 रुपये प्रति लीटर की बढोत्ततरी हुई है. इसी तरह, दिल्ली में डीजल की कीमत भी पिछले दो महीनों में 8.45 रुपये प्रति लीटर की बढोत्तरी के साथ 89.18 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

चिदंबरम ने सरकार के नए राहत उपायों की निंदा की, कहा-क्रेडिट अधिक कर्ज जैसा

केंद्र द्वारा सोमवार को आठ आर्थिक राहत उपायों की घोषणा के बाद, पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि क्रेडिट गारंटी क्रेडिट नहीं है. यह अधिक कर्ज है और कोई भी बैंकर व्यापार के लिए कर्ज नहीं देगा. एक ट्वीट में चिदंबरम ने कहा था कि क्रेडिट अधिक कर्ज है। कोई भी बैंकर कर्ज में डूबे व्यवसाय को उधार नहीं देगा. कर्ज के बोझ से दबे या नकदी की कमी वाले व्यवसाय अधिक ऋण नहीं चाहते हैं, उन्हें गैर-ऋण पूंजी की जरूरत है. अधिक आपूर्ति का मतलब अधिक मांग (खपत) नहीं है.

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चिदंबरम ने कहा कि इसके विपरीत, अधिक मांग (खपत) अधिक आपूर्ति को गति प्रदान करेगी और ऐसी अर्थव्यवस्था में मांग (खपत) नहीं बढ़ेगी, जहां नौकरियां चली गई हैं और आय/मजदूरी कम हो गई है. उन्होंने आगे कहा, "इस संकट का जवाब लोगों के हाथ में पैसा डालना है, खासकर गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लिए.