हमारे जम्मू-कश्मीर दौरे को गलत नजरिए से देखा गया, EU सांसदों का बयान
यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने बुधवार को अपने जम्मू-कश्मीर के दौरे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा, हमारे कश्मीर दौरे को गलत नजरिए से देखा जा रहा है
नई दिल्ली:
यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने बुधवार को अपने जम्मू-कश्मीर के दौरे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा, हमारे कश्मीर दौरे को गलत नजरिए से देखा जा रहा है. हम सब आतंकवाद के खिलाफ साथ हैं. हम कश्मीर में तथ्यों को देखने आए हैं. EU सांसद ने कहा, हम नाजीवादी लोग नहीं हैं. हम नाजीवादी होते तो हमें चुना नहीं जाता. कश्मीर के लोग विकास और शांति चाहते हैं. हमने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की वकालत की है. आतंकवाद की लड़ाई में हम सब साथ हैं.
उन्होंने कहा, हमने नागरिकों से बातचीत की. सेना से बातचीत की. अनुच्छेद 370 भारत का अंदरूनी मसला है, ऐसा हमारा मानना है. भारत की सियासत में दखल देना हमारा मकसद नहीं है. उन्होंने कहा, हमारा दौरा किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं है और न ही हम यूरोपियन यूनियन को किसी तरह की रिपोर्ट सौंपने वाले हैं. हमारे दौरे को गलत तरीके से पेश किया गया. बता दें, हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi), प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi), असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) समेत पूरा विपक्ष यूरोपियन यूनियन (European Union) के सांसदों के जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) दौरे को लेकर मुखर हो गया था. राहुल गांधी ने ट्वीट कर पूछा था कि यूरोपियन यूनियन के सांसदों को जम्मू-कश्मीर जाने पर कोई रोक नहीं है तो अपने देश के सांसदों पर रोक क्यों? इसी तरह प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने इस बहाने बीजेपी के राष्ट्रवाद (Nationalism) पर तंज कसा था. असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया दी था. विपक्ष के इसी रवैये पर ईयू सासंदों का ये बयान सामने आया.
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कौन हैं ये EU सांसद?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन 27 सांसदों में से कम से कम 22 दक्षिणपंथी या धुर दक्षिणपंथी विचारधारा से आते हैं. इन सदस्यों में वे नेता भी शामिल हैं जो इटली में परदेसियों को बसाए जाने के विरोधी हैं. इनमें से कुछ यूके में ब्रेक्जिट का समर्थन करते हैं तो कुछ मुस्लिम विरोधी विचारधारा से भी आते हैं. प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं में इटली के फल्वियो मार्तुसीलो, यूके के डेविड रिचर्ड बुल, इटली की गियाना जेनिसा, फ्रांस की जूली लिचेनटेक्स, चेक रिपब्लिक के टॉमस ज़ेकोवस्की, स्लोवाकिया के पीटर पोलाक और जर्मनी के निकोलस फेस्ट शामिल हैं.
डेलीगेशन में शामिल टॉमस ज़ेकोवस्की ने यूरोपीय संसद की पत्रिका में जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने लिखा था- आर्टिकल 370 हटने से राज्य में आतंकवाद को खत्म करने में मदद मिलेगी. उन्होंने बाद में यह भी दावा किया था कि इस आर्टिकल को लेकर पाकिस्तान से उन्हें मारने की धमकियां भी दी गईं.
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प्रतिनिधिमंडल में शामिल पोलैंड के जनप्रतिनिधि रिशर्ड सरनेस्की को यूरोपियन यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट पद से बर्खास्त कर दिया गया था. वे नाज़ी समर्थक माने जाते हैं. इटली के फल्वियो मार्तुसीलो, गियाना जेनिसा आदि कुछ नेता प्रवासियों के विरोध में आवाज़ बुलंद कर चुके हैं तो कुछ नेता इस्लाम विरोधी बताए जाते हैं.
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