तीन तलाक बिल राज्य सभा में पास होने से नहीं रोक पाएगा विपक्ष, अगर JDU व BJD ने दिया साथ
अब बीजेपी के उच्च सदन में बहुमत के लिए सिर्फ 6 सांसद ही कम रहेंगे और इस लिहाज से समर्थन जुटाना उसके लिए आसान हो जाएगा.
नई दिल्ली:
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में तीन तलाक बिल (triple talaq bill)समेत कई बिल लोकसभा से पारित तो हुए लेकिन राज्य सभा में पास नहीं हो पाए. इसकी वजह साफ थी, लोकसभा में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के पास प्रचंड बहुमत था, लेकिन राज्यसभा में वो अल्पमत में थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब विपक्ष के सामने बड़ी मुश्किल होगी क्योंकि अब किसी विधेयक को शायद ही वह रुकवा पाए या फिर संशोधन के लिए भेज पाए.
जिस तरह से समीकरण बन रहे हैं उसके हिसाब से अब बीजेपी के उच्च सदन में बहुमत के लिए सिर्फ 6 सांसद ही कम रहेंगे और इस लिहाज से समर्थन जुटाना उसके लिए आसान हो जाएगा. वैसे लोकसभा में 3 तलाक (Triple Talaq) बिल पास हो चुका है. जाहिर अब इस बिल को राज्यसभा में भी पास कराना होगा. लेकिन तीन तलाक जैसों मुद्दों पर बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी क्योंकि उसकी सहयोगी जेडीयू समर्थन नहीं कर ही है और बीजेडी भी तैयार नहीं है. ऐसे में विपक्ष के बजाय इस बिल के पास होने में NDA के अपने ही रोड़ा अटका रहे हैं. अगर किसी तरह दोनों दल मान जाएं तो मोदी सरकार के लिए बेहतर होगा.
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बता दें अभी राज्य सभा में एनडीए के 110 सांसद हैं. चार और सांसद पांच जुलाई को चुन कर आ चुके हैं. यानी एनडीए की संख्या 114 हो गई है. 241 सीटों पर बहुमत का आंकड़ा 121 है यानी एनडीए बहुमत से 7 सीटें दूर रहेगी. सभी सीटें भरने पर बहुमत का आंकड़ा 123 है यानी एनडीए सिर्फ 9 सीटें दूर रहेगा. उसे बीजेडी, टीआरएस और वायएसआर कांग्रेस और एनपीएफ के 14 सांसदों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है. हाल ही में टीडीपी के 4 और इंडियन नेशनल लोकदल के एक राज्यसभा सांसद ने बीजेपी शामिल हुए हैं. इससे बीजेपी की ताकत बढ़ी है.
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18 जुलाई को तमिलनाडु की 6 सीटों पर चुनाव होना है. यहां बीजेपी के पास कोई सीट जाते नहीं दिख रही है. इसमें अभी 4 पर एआईएडीएमके का कब्जा है. डीएमके और सीपीआई के पास एक-एक सीट है. भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 78 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी के 12 और तृणमूल कांग्रेस 13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं.
तीन तलाक बिल (triple talaq bill)में ये हैं प्रावधान
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान है यानी पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकता है.
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है. इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा.
- पीड़ित महिल नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा.
- यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी.
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुन लिया जाए और मजिस्ट्रेट को लगे कि जमानत का आधार है.
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है.
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