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उपराष्ट्रपति चुनाव: विपक्षी कैंडिडेट मार्गरेट अल्वा ने भरा नामांकन, कई नेता रहे मौजूद

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने अपना नामांकन प्रपत्र दाखिल कर दिया. उनके नामांकन के समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, NCP प्रमुख शरद पवार और अन्य बड़े विपक्षी नेता मौजूद रहे.

Updated on: 19 Jul 2022, 02:48 PM

highlights

  • मार्गरेट अल्वा ने दाखिल किया नामांकन
  • संयुक्त विपक्ष की तरफ से हैं उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार
  • एनडीए ने जगदीप धनखड़ को बनाया है उम्मीदवार

नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने अपना नामांकन प्रपत्र दाखिल कर दिया. उनके नामांकन के समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, NCP प्रमुख शरद पवार और अन्य बड़े विपक्षी नेता मौजूद रहे. बता दें कि मंगलवार को ही नामांकन का आखिरी दिन था. उप राष्ट्रपति पद के लिए 6 अगस्त को संसद में वोटिंग होगी, जिसमें मार्गरेट अल्वा के सामने बीजेपी और एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ हैं. 

रविवार को हुआ था मार्गरेट के नाम का ऐलान

बता दें कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार (sharad pawar) ने रविवार को मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की थी. पवार ने अल्वा के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि इस सर्वसम्मति से निर्णय के लिए 17 दल शामिल हैं. हमारी सामूहिक सोच है. यह घोषणा बीजीपी (bjp) के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करने के एक दिन बाद हुई थी. संसद की वर्तमान संख्या 780 में से अकेले भाजपा के पास 394 सांसद हैं, जो बहुमत के 390 से अधिक है. चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 19 जुलाई की ही थी और चुनाव 6 अगस्त को होना निर्धारित है.  उन्होंने आज अपना नामांकन प्रपत्र दाखिल कर दिया है.

कौन हैं मार्गरेट अल्वा?

एक पूर्व कैबिनेट मंत्री अल्वा (margaret alva) एक भारतीय राजनेता हैं, जिन्होंने अगस्त 2014 में अपने कार्यकाल के अंत तक गोवा के 17 वें राज्यपाल, गुजरात के 23 वें राज्यपाल, राजस्थान के 20 वें राज्यपाल और उत्तराखंड के चौथे राज्यपाल के रूप में कार्य किया. राज्यपाल नियुक्त होने से पहले, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक वरिष्ठ नेता थीं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की संयुक्त सचिव थीं. वर्ष 1974 से 2004 तक भारतीय संसद की सदस्य के रूप में उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए चार प्रमुख विधायी संशोधनों का समर्थन किया, जिसमें स्थानीय सरकार को अधिक शक्ति का हस्तांतरण और महिलाओं के लिए स्थानीय परिषद की एक तिहाई सीटों का आरक्षण शामिल है.