Advertisment

कांग्रेस के लिए छलावा साबित हो रही विपक्षी एकता, बन रहे कई पावर सेंटर

राकांपा प्रमुख शरद पवार के ममता से बात करने की संभावना है और संसद सत्र के बाद सोनिया एक और बैठक बुला सकती हैं.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Gandhi Family

राहुल को स्थापित करने की जद्दोजेहद में ममता लगा रहीं पलीता.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

देश में विपक्षी एकता कांग्रेस के लिए छलावा की तरह लग रही है, क्योंकि कई क्षेत्रीय दल गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए अपनी ताकत झोंक रहे हैं. सबसे प्रबल इच्छा ममता बनर्जी की है, जो अप्रत्यक्ष रूप से यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि वह अगले चुनाव में विपक्ष का नेतृत्व कर सकती हैं. हालांकि दशकों से सत्ता में रही सबसे पुरानी पार्टी हार मानने को तैयार नहीं है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के बिना विपक्ष एकजुट नहीं हो सकता. तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए प्रस्तावों को भांपते हुए, सोनिया गांधी ने पिछले सप्ताह विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाई. हालांकि यह कहा गया था कि बैठक संसद में संयुक्त रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी, लेकिन मुख्य उद्देश्य यह दिखाना था कि कांग्रेस प्रमुख विपक्ष है पार्टी और सोनिया गांधी यूपीए की नेता हैं.

बैठक में ममता बनर्जी पर चर्चा एक केंद्र बिंदु थी और सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस समय तृणमूल नेता को परेशान नहीं करना चाहती है. सूत्रों का कहना है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार के ममता से बात करने की संभावना है और संसद सत्र के बाद सोनिया एक और बैठक बुला सकती हैं जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आमंत्रित किया जाएगा. द्रमुक, झामुमो और शिवसेना तीनों दल कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं. तृणमूल नेता ममता बनर्जी के 'कोई यूपीए नहीं है' कहने के तुरंत बाद सोनिया गांधी ने डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस (एनसी), शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई-एम और अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी.

बैठक के बाद टी.आर. बालू ने कहा था कि हमने राज्यसभा में सांसदों के निलंबन पर चर्चा की गई. वहीं फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आगे बढ़ने की रणनीति तैयार करने के लिए आम सहमति बना ली गई है. लेकिन तृणमूल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उसके सांसद डोला सेन ने कहा कि यह विपक्ष की बैठक नहीं थी, बल्कि कुछ दलों की थी क्योंकि पूरा विपक्ष मौजूद नहीं था. कांग्रेस टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को यूपीए में शामिल करना चाहती है क्योंकि वह अतीत में एक सहयोगी थे. कांग्रेस टीआरएस के उन नेताओं तक पहुंचेगी जो राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से खफा हैं.

टीआरएस के बीजेपी से खफा होने की असली वजह टीआरएस के पूर्व नेता एटाला राजेंदर हैं, जिन्हें मई में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया था. राजेंद्र ने तेलंगाना राष्ट्र समिति छोड़ दी और राज्य विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया, लेकिन बाद में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीते. राज्यसभा के निलंबित 12 सांसदों के मुद्दे पर भी कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कई बैठकें की हैं और यहां तक कि राहुल गांधी ने भी निलंबित सांसदों के साथ एकजुटता से मार्च में भाग लिया. निलंबित किए गए 12 सांसदों में तृणमूल के भी शामिल हैं, लेकिन तृणमूल ने खुद को बाकी विपक्ष से दूर रखा और इस मुद्दे को उठाया और कई बार सदन की कार्यवाही में भाग लिया.

HIGHLIGHTS

  • ममता बनर्जी बीजेपी के मुकाबले विपक्षी चेहरा बनने के प्रयास में
  • कांग्रेस का घट रहा है गैर बीजेपी क्षेत्रीय पार्टियों में दमखम
  • तृणमूल और कांग्रेस नेताओं में चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर
छलावा congress Opposition Unity Leadership कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस कांग्रेस नेतृत्व विपक्षी एकता Mirage tmc
Advertisment
Advertisment
Advertisment