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नोटबंदी के खिलाफ 'भारत बंद' से पहले ही विपक्षी दलों में फूट पड़ गई है। हालांकि विपक्ष नोटबंदी के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेगा। भारत बंद का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं है।
वामदलों ने बंद का आह्वान किया हैं इसका असर पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल में दिख सकता है, जहां पर इनका मज़बूत जनाधार है। कांग्रेस ने इसे 'जन आक्रोश दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 28 नवंबर के भारत बंद से खुद को अलग कर लिया है। बिहार में नीतीश कुमार जेडी-यू, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार है। वहीं उड़ीसा में सत्तारूढ़ बीजेडी ने नोटबंदी के समर्थन किया है और भारत बंद का समर्थन न करने का फैसला लिया है।
कांग्रेस और आरजेडी मोदी के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं। संसद के भीतर और बाहर कांग्रेस नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष की अगुवाई कर रही है। ऐसे में नीतीश कुमार के अलग राह लिए जाने के बाद विपक्ष सकते में है। वहीं नीतीश के फैसले को लेकर बिहार में महागठबंधन की तस्वीर को लेकर भी कई सवाल खड़े हो गए है
रविवार को हालांकि कांग्रेस ने साफ कर दिया पार्टी ने कोई भारत बंद नहीं बुलाया है। पार्टी ने कहा कि वह नोटबंदी के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन करेगी। पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'धमाका' राजनीति में भरोसा रखते हैं और बड़े नोटों को बंद करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश में कुछ 'संभावनाएं' दिखाई दीं, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।'
लेकिन नीतीश कुमार ने नोटबंदी पर पीएम का समर्थन कर इस मुहिम की हवा निकाल दी है। नीतीश ने शुक्रवार को महागठबंधन के विधायक दल की बैठक में साफ कर दिया था कि राष्ट्रीय मुद्दे पर तीनों दल अलग-अलग स्टैंड ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन बिहार के लिए है न कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति के लिए।
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष दोनों सदनों में नोटबंदी पर बहस के बाद वोटिंग की मांग कर रहा है, जिसे लेकर सरकार सहमत नहीं है। गतिरोध की वजह से शीतकालीन सत्र का पहला आठ दिन बेकार हो चुका है।
नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस, टीएमसी, जेडीयू, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, बीएसपी और आरजेडी जैसे दल लगातार हमलावर हैं। नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद का विचार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया था। 28 नवंबर को सभी राज्यों में धरने प्रदर्शन होंगे जबकि लेफ्ट पार्टियां पूरे 24 से 30 नवंबर तक प्रदर्शन करेंगी।
हालांकि ममता का कहना है, 'दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक में बंद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। हम किसी बंद का समर्थन नहीं करते हैं।' ममता ने कहा, 'मोदी जी झूठ बोल रहे हैं। पूरा विपक्ष एकजुट हैं लेकिन आपकी पार्टी विभाजित है।'
दिल्ली में विरोधी दलों के बैठक में बन्ध को लेकर कोई भी चर्चा नहीं हुई थी,ना ही कोई फैसला किया गया था। हम कोई भी बन्ध का समर्थन नहीं करते १/२
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 25, 2016
लेकिन कांग्रेस ने 28 नवंबर को जनआक्रोश रैली में लोगों से भारी संख्या में शामिल होने की अपील की है। कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल पर जारी बयान में कहा गया है, 'सरकार के जनविरोधी फैसले से पैदा हुए विनाशकारी संकट के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जन आक्रोश दिवस का समर्थन करें।'
सरकार के जनविरोधी फैसले से पैदा हुए विनाशकारी संकट के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जन आक्रोश दिवस का समर्थन करें pic.twitter.com/u8ULm0Seyq
— INC India (@INCIndia) November 27, 2016
वहीं संसद के भीतर और बाहर विरोध का सामना कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से सियासी रैली के माध्यम से विपक्षी दलों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, 'हम भ्रष्टाचार बंद करने में लगे हैं जबकि कुछ लोग भारत बंद करने में लगे हुए हैं।' वहीं विपक्षी दल साफ कर चुके हैं कि 28 नवंबर की रैली से पहले अब सरकार से कोई बातचीत नहीं होगी। सड़क पर अगर विपक्ष की रणनीति काम नहीं करती है तो फिर संसद के चलने की संभावना कम ही होगी।
HIGHLIGHTS
- नोटबंदी के खिलाफ 'भारत बंद' से पहले ही विपक्षी दलों में फूट पड़ गई है
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 28 नवंबर के भारत बंद से खुद को अलग कर लिया है
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