विपक्षी पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर में राजनयिकों के दौरे को लेकर सरकार की आलोचना की
पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले के बाद यह विदेशी राजनयिकों का पहला आधिकारिक दौरा है.
नई दिल्ली:
विपक्षी दलों ने कई प्रमुख देशों के राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे को गुरुवार को ‘निर्देशित दौरास’ करार देते हुए सरकार की निंदा की और कहा कि भाजपा नीत सरकार भारतीय राजनीतिक नेताओं को क्षेत्र में जाने की अनुमति न देकर दोहरा मापदंड अपना रही है. कांग्रेस ने भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर सहित 15 देशों के राजनयिकों के दो दिवसीय जम्मू-कश्मीर दौरे पर श्रीनगर पहुंचने के कुछ घंटे बाद ही सरकार पर निशाना साधा. पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले के बाद यह विदेशी राजनयिकों का पहला आधिकारिक दौरा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ सरकार जम्मू-कश्मीर में विदेशी राजनयिकों के दौरे को अनुमति देकर और भारतीय राजनयिकों को रोककर दोहरा मापदंड अपना रही है.’’
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस इस तरह के दौरे का विरोधी नहीं है लेकिन भारतीय राजनीतिक नेताओं को भी क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. भाकपा के महासचिव डी राजा ने गुरुवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में सरकार विदेशी राजनयिकों का भले ही लाल कालीन बिछाकर भव्य स्वागत करा दे, लेकिन इससे उसे जम्मू-कश्मीर में किये गये उसके गुनाहों से दोषमुक्ति नहीं मिलेगी. उन्होंने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद भारतीय सांसदों को क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं देने और राजदूतों के दौरे पर केंद्र सरकार की निंदा की.
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राजा ने कहा, ‘‘ सरकार ने भारत के सांसद, उसके राजनीतिक दलों, उसके लोगों और उसके लोकतंत्र का अपमान किया है. जहां एक ओर सरकार वहां पर स्थिति सामान्य होने की बात कर रही है जबकि वास्तविकता यह है कि उस क्षेत्र पर कड़ी पहरेदारी है. हम मांग करते हैं कि अगर स्थिति सामान्य है, तो राजनीतिक कैदियों को तत्काल रिहा किया जाए.’’ राजनयिकों के इस दौरे को ‘‘निर्देशित दौरा’’ बताने की विपक्ष की अलोचनाओं को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि विदेशी राजनयिकों को कश्मीर ले जाने का उद्देश्य अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद घाटी में स्थिति सामान्य करने के प्रयासों को दिखाना है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि अमेरिका के अलावा राजनयिकों के समूह में दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नार्वे, फिलीपीन, मोरोक्को, अर्जेटीना, पेरु, नाइजर, नाइजीरिया, गुयाना और टोगो के प्रतिनिधि शामिल थे. उन्होंने कहा, ‘‘ इस दौरे का उद्देश्य सरकार की ओर से हालात को सामान्य करने की कोशिशों को और हाल के हफ्तों में स्थानीय प्रशासन की ओर से स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए कदमों के असर के बारे में राजनयिकों को जानकारी देना था. रमेश ने कहा कि 29 अक्टूबर को पिछली बार यूरोपीय संघ के सांसदों की पहली योजनागत यात्रा के बाद यह सरकार की दूसरी कोशिश है. उन्होंने कहा, उस समय आलोचना को देखते हुए सरकार को कहना पड़ा कि यात्रा अनौपचारिक है न कि आधिकारिक.
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रमेश ने कहा, ‘‘हम विदेशी राजनयिकों के इस दौरे का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन जब अपने राजनीति नेताओं को जम्मू-कश्मीर जाकर लोगों से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो ऐसे में वहां पर विदेशी राजनयिकों को ले जाने का क्या उद्देश्य है?’’ रमेश ने रेखांकित किया कि जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री अभी भी नजरबंद हैं और एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री जो राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं गुलाम नबी आजाद को केंद्र शासित प्रदेश के दौरे के लिए उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेनी पड़ी. कांग्रेस नेता पूछा कि संसदीय समिति, विपक्षी नेताओं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, माकपा महासचिव जम्मू-कश्मीर नहीं जा सकते हैं फिर विदेशी राजनयिकों को ले जाने का क्या उद्देश्य है?
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उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से मांग करते हैं कि वह सभी राजनैतिक नेताओं को जम्मू-कश्मीर तक बाधारहित पहुंच दे और राजनयिकों के लिए ‘निर्देशित दौरे’ आयोजित नहीं करे.’’ रमेश ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि तत्काल जम्मू-कश्मीर में अर्थपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो और विदेशी राजनयिकों का ‘‘राजनीतिक पर्यटन’’ बंद हो. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में ‘‘हालात सामान्य’’ होने के अपने दावे पर मुहर लगवाने वाले के लिए जिस तरह से विभिन्न देशों के राजनयिकों को यहां लायी है, उससे वह ‘‘निराश’’ है.
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पार्टी की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘‘ नेकां इन राजदूतों से यह पूछना चाहेगी अगर जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य है तो तीन पूर्व मुख्यमंत्री सहित सैकड़ों लोग करीब 160 दिनों से नजरबंद क्यों हैं और पांच महीने से अधिक समय से लोगों को इंटरनेट का इस्तेमाल क्यों नहीं करने दिया जा रहा है ?’’ पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा कि विभिन्न देशों के दूतों का जम्मू-कश्मीर दौरा घाटी में सरकार द्वारा किए गए बंद को सामान्य दिखाने का प्रयास है. पीडीपी ने केंद्र को चुनौती दी कि वह दूतों को हिरासत में रखे गए राजनीतिक नेताओं से मुलाकात करने की इजाजत दे. पीडीपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘‘आज प्रधानमंत्री कार्यालय दूतों के दूसरे जत्थे को कश्मीर में हालात ‘दिखाने’ लाया, यह सरकार द्वारा किए गए बंद को सामान्य दिखाने का प्रयास लगता है. प्रधानमंत्री कार्यालय को चुनौती देते हैं कि क्या वे इन विदेशी दूतों को 160 दिन से जेल में बंद राजनीतिक बंदियों से मुलाकात करने देंगे?’’ आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा कि विदेशी राजनयिकों से पहले भारतीय सांसदों को कश्मीर दौरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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