CBI रिश्वत कांड: विपक्ष ने कहा-सरकार ने सीबीआई की आजादी में ठोंकी आखिरी कील
CBI में घूसखोरी के मामले को लेकर उठे विवाद के बाद पूरा विपक्ष हमलावर हो गया है. ज्यादातर पार्टियों ने इस मामले को सरकारी संस्थानों की आजादी पर हमला बताया है.
नई दिल्ली:
CBI में घूसखोरी के मामले को लेकर उठे विवाद के बाद पूरा विपक्ष हमलावर हो गया है. ज्यादातर पार्टियों ने इस मामले को सरकारी संस्थानों की आजादी पर हमला बताया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में आरोप लगाया है कि सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया, क्योंकि वह राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे. वहीं कांग्रेस ने यह भी आरोप लगया है कि कि सीबीआई निदेशक वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में ‘‘आखिरी कील’’ ठोंक दी है.
गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच चल रही तकरार को लेकर, दोनों अधिकारियों से सारे अधिकार वापस ले लिए गए हैं और उन्हें अवकाश पर भेज दिया गया है.
राहुल ने राफेल से जोड़ा
राहुल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे. उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया. प्रधानमंत्री का संदेश एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा .’’
रणदीप सुरजेवाला : कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट में कहा, " मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में आखिरी कील ठोंक दी है. एक वक्त की शानदार जांच एजेंसी, जिसकी ईमानदारी, विश्वसनीयता और भरोसे को खत्म करने का काम प्रधानमंत्री ने किया है." उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी सीबीआई निदेशक को बर्खास्त करने के लिए जो सीधे नहीं कर सकते, गुप्त रूप से और चुपके से करना चाहते हैं. मोदी सरकार और भाजपा द्वारा गंभीर आपराधिक मामलों की जांच में सीबीआई के निरंतर दुरुपोयग के माध्यम से बाधा डालने की आदत ही इस अव्यवस्था का सबसे बड़ा कारण है." उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री ने सीबीआई की इस गुप्त लूट के जरिए अपने बदनाम मोदी के गुजरात मॉडल का असली रंग प्रदर्शित किया है.' सुरजेवाला ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की जांच करने में उत्सुकता दिखाने के कारण सीबीआई निदेशक को 'बर्खास्त' किया गया है. उन्होंने कहा, "क्या यह अपनी गलती को छिपाने का प्रयास नहीं है? प्रधानमंत्री जवाब दीजिए."
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माकपा : माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा को अवकाश पर भेजने के केन्द्र सरकार के फैसले को गैरकानूनी बताया है. येचुरी ने मोदी सरकार पर सीबीआई में अपने चहेते अधिकारी को बचाने के लिये वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया ‘‘मोदी सरकार द्वारा अपने उस चहेते अधिकारी को बचाने के लिये सीबीआई प्रमुख को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया है, जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच चल रही थी.’’ उन्होंने विवाद के घेरे में आये सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का नाम लिये बिना आरोप लगाया कि यह कार्रवाई उक्त अधिकारी के भाजपा में शीर्ष नेतृत्व के साथ संबंधों को सुरक्षित तरीके से छुपाने के लिये की गयी है.
बसपा : बसपा प्रमुख मायावती ने पूरे घटनाक्रम को चिंताजनक बताते हुये उच्चतम न्यायालय से सीबीआई की विश्वसनीयता को बहाल करने के लिये मौजूदा विवाद पर विस्तार से संज्ञान लेने का अनुरोध किया है. बसपा प्रमुख ने कहा कि केन्द्र सरकार की द्वेषपूर्ण, जातिवादी और सांप्रदायिकता पर आधारित नीतियों और कार्यकलापों ने सीबीआई सहित हर संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं को संकट में डाल रखा है.
आप पार्टी: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में सवाल किया, ‘‘ सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने के पीछे की वजह क्या है? लोकपाल अधिनियम के तहत नियुक्त किए गए एक जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मोदी सरकार को किस कानून के तहत मिला. मोदी क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?'
ममता बनर्जी : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि सीबीआई भाजपा की जांच एजेंसी बन गई है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ सीबीआई अब तथाकथित बीबीआई (बीजेपी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) बन गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.'
ये है घटनाक्रम
इस बीच, घटनाक्रम पर सरकार की तरफ से कहा गया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हटाने का निर्णय सीवीसी की सिफारिशों के आधार पर लिया गया तथा एजेंसी की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक था.
अरुण जेटली ने रखा सरकार का पक्ष
वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) ने ये सिफारिश बीती शाम को की थी. जेटली ने कहा कि देश की अग्रणी जांच एजेंसी के दो शीर्ष अधिकारियों के आरोप-प्रत्यारोप के कारण बहुत ही विचित्र तथा दुर्भाग्यपूर्ण हालात बने हैं. यह हालात सामान्य नहीं हैं और आरोपियों को उनके ही खिलाफ की जा रही जांच का प्रभारी नहीं होने दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि आरोपों की जांच विशेष जांच दल करेगा और अंतरिम उपाय के तौर पर दोनों को अवकाश पर रखा जाएगा. वित्त मंत्री ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के उन आरोपों को भी खारिज किया जिसमें कहा गया कि वर्मा को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच करना चाहते थे. जेटली ने कहा कि इन आरोपों को देखते हुए लगता है कि उन्हें (विपक्षी दलों को) यह भी पता चल रहा था कि संबंधित अधिकारी के दिमाग में क्या चल रहा है. इससे उस व्यक्ति की ईमानदारी पर अपने आप ही सवाल खड़े होते हैं, जिसका कि वे समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं.
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