देश के प्रमुख उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सार्वजनिक क्षेत्र (Government Sector) के उपक्रमों को निजी क्षेत्र की कंपनियों (Private Sector) की तरह कामकाज का खुला माहौल सुनिश्चित किये जाने की वकालत की है. सीआईआई ने कहा है कि सार्वजनिक उपक्रमों पर सतर्कता आयोग, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ‘अत्याधिक निगरानी’ और सीबीआई से जांच के डर के चलते लोक उपक्रमों में निर्णय लेने में सतर्कता का दबाव रहता है और कई बार निर्णय लेने का काम रुका रहता है.
सीआईआई के शोध में यह सुझाव दिया गया है. सीआईआई ने सार्वजनिक उपक्रमों के लिये एक ‘प्रतिस्पर्धा मॉडल’ विकसित किया है और उसका यह सुझाव इसी मॉडल का हिस्सा है. इस मॉडल में छह प्रमुख मानकों को रखा गया है. इससे केंद्रीय लोक उपक्रम वैश्विक बाजार में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो सकेंगे.
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सीआईआई ने कहा कि लोक उपक्रमों के कामकाज मानकों (कारपोरेट गवर्नेंस) को वैसा ही बनाया जाना चाहिए जैसे कि निजी कंपनियों के लिये हैं. सतर्कता आयोग, कैग और सीबीआई की जांच की तलवार लटके रहने से अक्सर सरकारी कंपनियों में निर्णय लेने में अत्यधिक सावधानी या काम की शिथिलता देखी गयी है. साथ ही दुर्भावना से लिये गये निर्णय और व्यावसायिक जोखम उठाना दोनों के बीच अंतर रखा जाना चाहिये.
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सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘देश के लोक उपक्रमों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की क्षमता है.’’ उद्योग मंडल सीआईआई इस संबंध में सोमवार को अपनी शोध रपट ‘द राइज ऑफ द एलीफेंट : एनहांसिंग कॉम्पिटिटिवनेस ऑफ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज’ भी आधिकारिक तौर पर जारी करने जा रहा है.