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शराब की ऑनलाइन बिक्री, धीरे-धीरे दुकानें खोलने की मिले मंजूरी: शराब उद्योग

शराब निर्माता उद्योग ने सरकार से ऑनलाइन बिक्री तथा धीरे-धीरे दुकानों को खोले जाने की मंजूरी देने की मांग की है.

Updated on: 11 Apr 2020, 07:33 PM

दिल्ली:

शराब निर्माता उद्योग ने सरकार से ऑनलाइन बिक्री तथा धीरे-धीरे दुकानों को खोले जाने की मंजूरी देने की मांग की है. उद्योग जगत का कहना है कि लॉकडाउन के कारण शराब उद्योग को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तथा लोगों की नौकरियां जा रही हैं. शराब बनाने वाली कंपनियों के संगठन ‘कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज’ ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, शराब का थोक और खुदरा व्यापार ठप हो गया है.

उसने कहा कि हम यह मांग करते हैं कि कोविड-19 की रोकथाम के दिशानिर्देशों पर अमल की शर्त के साथ शराब उद्योग को तत्काल धीरे-धीरे खोला जाए. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये 21 दिन का लॉकडाउन (बंद) लागू है. यह बंद 14 अप्रैल तक लागू है. संगठन ने कहा कि शराब की आपूर्ति करने वाले ट्रक रास्ते में फंसे हुए हैं, वितरण करने वाले भंडारगृह बंद पड़े हैं तथा खुदरा दुकानों में भंडार अटका हुआ है.

संगठन के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा कि यह उद्योग विभिन्न करों के जरिये करीब दो लाख करोड़ रुपये का राजस्व देता है. इससे करीब 40 लाख किसानों की आजीविका भी इससे जुड़ी है. मौजूदा खराब हालात में भी यह प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके करीब 20 लाख लोगों को रोजगार दिए हुए है. गिरी ने आबकारी वर्ष को तीन महीने बढ़ाकर 30 जून तक करने तथा शराब की ऑनलाइन बिक्री की मंजूरी देने की भी मांग की.

उन्होंने कहा कि शराब उद्योग की दिक्कतें इस बात से बढ़ जाती हैं कि अधिकांश राज्यों में आबकारी नीति की समयसीमा 31 मार्च तक की होती है. शराब कंपनियों को परिचालन जारी रखने के लिए इससे पहले कई विधायी शर्तों को पूरा करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि यदि बंद लंबा खिंचा तो शराब कंपनियों को न सिर्फ भारी आर्थिक नुकसान होगा बल्कि लाखों लोग बेरोजगार भी हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि दुकानों को ऑनलाइन आवेदन के जरिये होम डिलिवरी के लिये पंजीयन कराने को कहा जाना चाहिए. सरकार इसके लिये लाइसेंस शुल्क के अलावा अलग से शुल्क ले सकती है. हर पात्र दुकानों को होम डिलिवरी के लिये तीन-चार कर्फ्यू पास दिये जाने चाहिए. गिरी ने कहा कि उपभोक्ता फोन से ऑर्डर दे सकते हैं. उम्र के लिये पहचान पत्र मांगा जा सकता है. सरकार डिलिवरी पर मात्रा की सीमाएं तय कर सकती है और यह भी तय किया जा सकता है कि एक व्यक्ति को किसी समयसीमा के भीतर कितनी बार डिलिवरी की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि लोगों का आपस में दूरी बनाये रखना अब सामाजिक जीवन का नया अंग हो जाने वाला है. ऐसे में सरकार शराब की होम डिलिवरी पर निगरानी के लिये अलग से प्रशासनिक व्यवस्था बना सकती है. इसके लिये सरकार अपना पोर्टल बनाने पर भी विचार कर सकती है. तैयार खाद्य पदार्थों की होम डिलिवरी करने वाले सेवा प्रदाताओं की भी मदद ली जा सकती है.