नोटबंदी के फैसले के बाद जहां बीजेपी इस फैसले को देशहित में उठाया गया सबसे बड़ा कदम मान रही है तो वहीं इस फैसले के बाद से बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की कतार है कि कम होने का नाम नहीं ले रही।
लोगों को हो रही परेशानी के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों और पदाधिकारियों ने पार्टी नेतृत्व को चेतावनी दी है कि नकदी की कमी राजनीतिक रूप से विनाशकारी साबित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश के एक सांसद ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, 'प्रधानमंत्री द्वारा तय की गई 50 दिनों की समय सीमा जल्द खत्म होने वाली है, लेकिन बैंकों और एटीएम के बाहर स्थिति नहीं सुधर रही है। 50 दिनों के बाद हम मतदाताओं से क्या कहेंगे? यह चिंता का विषय है।'
जानकार सूत्रों ने कहा कि खासतौर पर चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश के सांसदों और अन्य लोगों ने अमित शाह से कहा कि अगर जल्द स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले चुनाव में पार्टी को झटका लग सकता है। बैठकों में उत्तर प्रदेश के कई सांसद शामिल थे, जहां अगले साल के शुरू में विधानसभा का चुनाव होगा।
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी पर शरद पवार की चुटकी, 'भूकंप नहीं आया इसलिए अब सभी चैन से सो सकते हैं'
रात्रिभोज में भाग लेने वाले एक अन्य सांसद ने कहा कि पिछले 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के बाद काम छूटने के कारण गुजरात, पंजाब और दिल्ली से उत्तर प्रदेश के श्रमिक वापस घर लौट रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 8 नवंबर को 500 और एक हजार रुपये के नोटों को बंद कर दिया और कहा कि यह भ्रष्टाचार, कालाधन और आतंकवाद के वित्त पोषण के खिलाफ एक अभियान है।
मोदी और शाह द्वारा लोगों के पास जाने और सरकार के इस अच्छे निर्णय के प्रचार करने की लगातार अपील के बावजूद सांसद और स्थानीय नेता अंतहीन नकदी की कमी को लेकर लोगों की नाराजगी झेलने को तैयार नहीं हैं।
पार्टी के एक सांसद ने खुलकर स्वीकार किया, "मैं मार खाना नहीं चाहता हूं। जब हम हमारे संसदीय क्षेत्रों में जाते हैं तो बाहर निकलने से बचते हैं। वास्तव मैं कुछ सांसदों को जानता हूं जिन्होंने संसदीय सत्र के दौरान सप्ताहांत में कभी भी दिल्ली नहीं छोड़ी।' भाजपा किसान मंच ने शाह से कहा कि नोटबंदी के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है और नकदी की कमी के कारण बुवाई व आवश्यक खरीदें प्रभावित हुई हैं।
यह भी पढ़ें: ये 50 दिन काले धन से 50 साल के लिए राहत देंगे: अमित शाह
भाजपा युवा शाखा ने महसूस किया कि शहरों में स्थिति संभालने लायक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में संकट है। एक भाजपा नेता ने खुलेआम कहा, 'हां, अब भी लोग खुलेआम नोटबंदी का विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन हम नहीं जानते हैं कि कब यह खिन्न माहौल एक विस्फोटक स्थिति में तब्दील हो जाएगा।'
शाह के साथ रात्रिभोज में शामिल होने वाले पार्टी के सांसदों में एक ने आईएएनएस से कहा कि वे खुश नहीं हैं, क्योंकि क्षति हो गई है तब केवल उनके विचार मांगे जा रहे हैं। एक सांसद ने कहा, 'यह पहले भी हुआ था, जब सरकार ने एक भूमि अधिग्रहण विधेयक लाया था। जब आलोचनाओं की बौछाड़ होने लगी थी, तब हमारे विचार मांगे गए थे। अंतत: सरकार को विधेयक वापस लेना पड़ा था।'
नोटबंदी के बाद नियमों में अनेक बदलावों से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी है और उनकी और नाराजगी बढ़ी है जो मतदाताओं के सामना करने में सांसदों और पाटी्र नेताओं के लिए एक अन्य चिंता विषय है।
यह भी पढ़ें: रवि शंकर प्रसाद ने कहा- राहुल गांधी पार कर रहे नैतिकता की सारी हदें
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को नोटबंदी को लागू करने में संभावित कमियों का जिक्र किया, जो सरकार और भाजपा पहले मानने को तैयार नहीं थी। हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने साफ कर दिया था कि गत 8 नवंबर के फैसले को वापस नहीं लिया जाएगा और इसलिए सांसद, विधायक व अन्य इसका लोगों के बीच आक्रामक ढंग से प्रचार करें। शाह ने मोदी की कोई भी आलोचना स्वीकार करने से भी मना दिया था।
HIGHLIGHTS
- बीजेपी नेताओं की आशंका, नोटबंदी के कारण चुनाव में लग सकता है झटका
- एक बीजेपी सांसद ने स्वीकारा- 'अब क्षेत्र में जाते हैं तो बाहर निकलने से बचते हैं'
Source : IANS