Advertisment

मॉब लिंचिंग के विरोध में श्‍याम बेनेगल, रामचंद्र गुहा सहित 49 बुद्धिजीवियों ने लिखा पीएम मोदी को खत

मशहूर फिल्‍म निर्देशक श्‍याम बेनेगल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, अदूर गोपालकृष्‍णन और कंचना सेन शर्मा जैसे 49 बुद्धिजीवियों ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर देश में असहिष्‍णुता का मुद़्दा उठाया है और इस पर कार्रवाई करने की मांग की है.

author-image
Sunil Mishra
एडिट
New Update
मॉब लिंचिंग के विरोध में श्‍याम बेनेगल, रामचंद्र गुहा सहित 49 बुद्धिजीवियों ने लिखा पीएम मोदी को खत

श्‍याम बेनेगल और रामचंद्र गुहा

Advertisment

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की तरह दूसरे कार्यकाल में भी असहिष्‍णुता का शोर उठा है. पहले कार्यकाल में बुद्धिजीवियों ने अवार्ड वापसी अभियान चलाया था. अब मशहूर फिल्‍म निर्देशक श्‍याम बेनेगल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, अदूर गोपालकृष्‍णन और कंचना सेन शर्मा जैसे 49 बुद्धिजीवियों ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर देश में असहिष्‍णुता का मुद़्दा उठाया है और इस पर कार्रवाई करने की मांग की है.

यह भी पढ़ें : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया कंफर्म, कश्मीर मुद्दे पर नहीं हुई प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की कोई बात

पत्र में लिखा गया है कि देशभर में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर हम चिंतित हैं. हमारे संविधान में देश को धर्मनिरपेक्ष, सामाजिक, लोकतांत्रिक गणराज्‍य बताया गया है, जहां सभी धर्म और मजहब, लिंग, जाति के लोगों को समान दर्जा दिया गया है. ऐसे में सभी धर्मों के लोगों को अपने अधिकार के साथ जीने का हक मिलना चाहिए. पत्र में मांग की गई है कि मुस्‍लिमों, दलितों और अन्‍य अल्‍पसंख्‍यकों के साथ लिंचिंग की घटनाएं तत्‍काल रोकी जानी चाहिए. हमलोग एनसीआरबी के उस आंकड़े से चिंतित हैं कि 2016 में दलितों के खिलाफ एट्रोसिटी के 840 मामले सामने आए थे. दूसरी ओर, 2009 से 2018 के बीच धर्म आधारित पहचान आधारित घृणा के 254 मामले सामने आए थे, तब 91 लोग मारे गए थे और 579 लोग घायल हुए थे.

यह भी पढ़ें : जानें कितना खतरनाक साबित हो सकता है 5G, परीक्षण के दौरान कई पक्षियों ने गवाई जान

पत्र में कहा गया है कि ऐसे मामलों में 62 फीसद पीड़ित मुसलमान थे, तो 14 फीसद मामलों में ईसाई. इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मामले मई 2014 के बाद दर्ज किए गए, जब मोदी सरकार सत्‍ता में आई थी. आपने संसद भवन में लिंचिंग की घटना को आड़े हाथों लिया, लेकिन इतना पर्याप्‍त नहीं है. असल में क्‍या एक्‍शन लिया गया, वो अधिक महत्‍वपूर्ण है. हमें लगता है कि इस तरह के अपराध गैर जमानती करार दिया जाना चाहिए. पत्र में यह भी पूछा गया है कि अगर हत्‍या के केस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है तो लिंचिंग के केस में क्‍यों नहीं, जो हत्‍या से भी अधिक नृशंस है. किसी भी नागरिक को उसके अपने ही देश में भय के माहौल में नहीं रहना चाहिए. 

पत्र में तीनों बुद्धिजीवियों ने कहा है कि हाल के दिनों में "जयश्रीराम" का नाम लेकर इस तरह की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया. यह दुखद है कि धर्म के नाम पर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. यह मध्‍ययुगीन काल नहीं है. राम का नाम देश के बहुसंख्‍यक लोगों के लिए श्रद्धेय है. देश के सबसे शक्‍तिशाली पद पर बैठने के बाद आपको राम का नाम इस तरह बदनाम करने को लेकर कार्रवाई करनी चाहिए.

यह भी पढ़ें : फ्लोर टेस्‍ट की गजब कहानी: कोई एक दिन का सीएम तो कहीं सरकार एक वोट से गिरी

पत्र में कहा गया है कि बिना असहमति के लोकतंत्र संभव नहीं है. लोगों को यूं ही एंटी नेशनल और अर्बन नक्‍सल जैसे विशेषणों से नहीं बुलाया जाना चाहिए. संविधान का अनुच्‍छेद 19 अभिव्‍यक्‍ति की आजादी देता है, जिसमें असहमति अखंड हिस्‍सा है.

HIGHLIGHTS

  • मॉब लिंचिंग को गैर जमानती अपराध करार दिया जाना चाहिए
  • जब मर्डर में आजीवन कारावास की सजा तो लिंचिंग में क्‍यों नहीं
  • बुद्धिजीवियों ने कहा- नागरिक अपने ही देश में डरकर नहीं रह सकता

Source : Devjani

Intolerance India mob violence Lynchying in India Lynchyings PM Modi intolerance Letter To PM Modi india-news rising intolerance
Advertisment
Advertisment
Advertisment