चीन के साथ संबंधों पर विदेश सचिव ने कहा, '1962 के बाद यह स्थिति पहली बार'
पूर्वी लद्दाख में जहां एक ओर सीमा विवाद के बाद बातचीत का दौर चल रहा है तो वहीं दोनों देशों की सेना एलएसी पर एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी है. विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला ने इस स्थिति को 'अप्रत्याशित' स्थिति करार दिया है. विदेश सचिव ने कहा, यह एक अप्रत्याशित स्थिति है. 1962 के बाद से हमारी कभी ऐसी स्थिति नहीं रहा. पहली बार हमने अपने जवानों को खोया है.
नई दिल्ली:
पूर्वी लद्दाख में जहां एक ओर सीमा विवाद के बाद बातचीत का दौर चल रहा है तो वहीं दोनों देशों की सेना एलएसी पर एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी है. विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला ने इस स्थिति को 'अप्रत्याशित' स्थिति करार दिया है. विदेश सचिव ने कहा, यह एक अप्रत्याशित स्थिति है. 1962 के बाद से हमारी कभी ऐसी स्थिति नहीं रहा. पहली बार हमने अपने जवानों को खोया है. पिछले 30 सालों के दौरान एक भी जवान की जान नहीं गई थी.
विदेश सचिव ने इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) वेबिनार के दौरान कहा जब हम एफटीए की बात करते हैं तो अगर वह हमारे राष्ट्र हित में होता है. तो हम उसके साथ आगे बढ़ते हैं. लेकिन, ऐसा लगता है RCEP हमारे हित में नहीं है. श्रृंगला ने कहा, हमारे एक पड़ोसियों में से ही एक सार्क में सभी सकारात्मक गतिविधियों को रोकने में संलिप्त है.
एक दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को भारत-चीन को लेकर साफतौर पर कहा कि सीमा पर जो कुछ होता है उससे दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ता है. एक किताब के विमोचन के मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के लिए एक समझौता पर पहुंचना महत्वपूर्ण है, यह केवल उनके लिए अहम नहीं है बल्कि दुनिया के लिए भी यह मायने रखता है. भारत चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि कूटनीतिक दायरे में समाधान निकालना होगा.
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