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ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे पर कांग्रेस नेताओं की मिश्रित प्रतिक्रियाएं

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेताओं की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

Updated on: 11 Mar 2020, 07:50 PM

highlights

  • कांग्रेस नेताओं की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को शामिल हुए बीजेपी में.
  • किसी ने नहीं सोचा था कि सिंधिया पार्टी छोड़ेंगे.

नई दिल्ली:

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेताओं की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कई लोगों को लगता है कि संकट के लिए पार्टी और सिंधिया दोनों जिम्मेदार हैं. कांग्रेस (Congress) पार्टी के एक राज्यसभा सांसद ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'अहंकार, लालच और कार्य करने में अक्षमता सिंधिया के पार्टी छोड़ने का मुख्य कारण है.' उन्होंने कहा कि सिंधिया में 'अहंकार और लालच' है, जिसके चलते वह जिस विचारधारा का लंबे समय से विरोध कर रहे थे, उसी में शामिल हो गए.

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कुछ ने किया परहेज
पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से सिंधिया पर टिप्पणी नहीं करना चाहता.' उन्होंने कहा कि 'पार्टी को अपने भीतर देखना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई पार्टी न छोड़े.' कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद बी.के. हरिप्रसाद ने कहा, '2010 में सिंधिया को पीसीसी अध्यक्ष पद की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह केंद्रीय मंत्री के रूप में काम करना चाहते हैं. जिसके बाद कांतिलाल भूरिया को पार्टी का राज्य अध्यक्ष बनाया गया था.'

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कुछ ने अहंकार, लालच को बताया कारण
हरिप्रसाद ने कहा, 'पार्टी के अंदर सिंधिया की प्रोन्नति के लिए अर्जुन सिंह जैसे वयोवृद्ध नेताओं से मशविरा किया गया था. ज्योतिरादित्य को सिर्फ यह लालच थी कि वह दिल्ली के लुटियन महकमे में प्रासंगिक बने रहें. कांग्रेस नेतृत्व नाखुश है, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि सिंधिया पार्टी छोड़ेंगे.' सिंधिया के पार्टी छोड़ने के पत्रकारों के सवाल पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुप्पी साध ली. बाद में राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर से ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, एक निर्वाचित कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने में व्यस्त होने के कारण आप वैश्विक तेल की कीमतों में 35 प्रतिशत गिरावट पर ध्यान देना भूल गए होंगे. क्या आप पेट्रोल की कीमतों को 60 रुपये प्रति लीटर से कम करके भारतीयों को लाभ दे सकते हैं? इससे रुकी हुई अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.'