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सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को बड़ा झटका, भेजने पड़ेंगे 3 IPS दिल्ली

गौरतलब है कि बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर वापस बुलाए जाने को लेकर केंद्र और ममता सरकार में ठनी हुई थी.

Updated on: 01 Mar 2021, 01:02 PM

highlights

  • बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद बढ़ी तनातनी
  • केंद्र ने डेपुटेशन पर बुलाए थे बंगाल में तैनात तीन आईपीएस
  • इसके खिलाफ एक वकील ने दायर की थी सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली:

ऐन विधानसभा चुनाव से पहले सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) सरकार को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएस अधिकारियों को वापस डेपुटेशन पर बुलाने की केंद्र सरकार के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. नियमों के मुताबिक केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार की मर्जी नहीं होने के बावजूद किसी भी अधिकारी को अपने पास डेपुटेशन पर वापस बुला सकता है. केंद्र सरकार (Modi Government) के इस अधिकार के खिलाफ पश्चिम बंगाल निवासी एक वकील अबु सोहेल ने याचिका दाखिल की थी. गौरतलब है कि बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर वापस बुलाए जाने को लेकर केंद्र और ममता सरकार में ठनी हुई थी.

केंद्र के अधिकारों पर दी गई थी चुनौती
गौरतलब है कि पिछले दिनों बंगाल के 3 आईपीएस को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाए जाने को लेकर केंद्र और बंगाल में ममता सरकार में तनातनी शुरू हुई थी. इसी बात को लेकर अबु सोहेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आईपीएस (कैडर) एक्ट, 1954 के नियम 6(1) पर सवाल खड़े करते हुए याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार के पास राज्य सरकार द्वारा ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दों पर अधिक शक्ति है. याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र द्वारा लिए गए एक्शन का प्रभाव झेलना पड़ता है. ऐसे में इस प्रक्रिया को ओर अदालत को ध्यान देना चाहिए. हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह इसमें दखल नहीं देंगे और इसी के साथ याचिका को रद्द कर दिया. 

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केंद्र-ममता सरकार का यह है विवाद
कुछ वक्त पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल के तीन आईपीएस को केंद्र में ट्रांसफर किया था. तीनों अफसरों को बंगाल से वापस बुलाया गया था, लेकिन इसपर बंगाल सरकार ने आपत्ति जाहिर की थी. अफसरों की कमी का हवाला देते हुए बंगाल सरकार ने अफसरों को भेजने से इनकार किया था, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था. गौरतलब है कि बंगाल में चुनाव के ऐलान से पहले जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का काफिले पर हमला हुआ था, तब केंद्र और राज्य के बीच तलवारें खिंच गई थीं. गृह मंत्रालय ने बंगाल के अफसरों को तलब भी किया था, लेकिन किसी ने रिपोर्ट नहीं किया था. ममता बनर्जी पहले भी कई बार केंद्र सरकार पर अफसरों के ट्रांसफर में दखल देने, राज्यपाल द्वारा सरकार के काम में दखल देने का आरोप लगाती रही हैं. चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही टीएमसी और बीजेपी में इस मसले पर तकरार और भी अधिक बढ़ी है.