राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उपराज्यपाल के कार्यालय पर धरना और आम आदमी पार्टी के विरोध प्रदर्शन 6ठे दिन भी जारी है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) समेत कई क्षेत्रीय दल अब केजरीवाल के धरना प्रदर्शन के समर्थन में आ गए हैं।
जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक ट्वीट में कहा, "मैं दिल्ली द्वारा अपने अधकारों की लड़ाई को सलाम करता हूं। दिल्ली में 'आप' सरकार को अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने को बाध्य किया गया है। यह किस तरह का लोकतंत्र है? झारखंड दिल्ली के लोगों और केजरीवाल के साथ है।"
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने चुनी हुई दिल्ली सरकार के साथ एकजुटता जाहिर की।
उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, 'केंद्र की सत्ता पर काबिज पार्टी के राजनीतिक हितों के लिए राज्यपाल पद का दुरुपयोग करने की परंपरा संविधान की आत्मा के विरुद्ध है।'
केजरीवाल के विरोध प्रदर्शन को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, राष्ट्रीय जनता दल और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और अभिनेता से राजनीति में आए कमल हासन व शत्रुघ्न सिन्हा ने पहले ही समर्थन दिया है।
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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी केजरीवाल का समर्थन किया है।
केजरीवाल पांच दिनों से धरना पर हैं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कई मंत्री बेमियादी अनशन पर हैं। उनका आरोप है कि प्रधानमंत्री के इशारे पर उपराज्यपाल प्रशानिक अधिकारियों को काम न करने को कहा है और कई योजनाओं की फाइल रोककर काम नहीं होने दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें लोकप्रिय सरकार को विफल दिखाना है।
केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का आरोप है कि कि उन्हें अपने पति से नहीं मिलने दिया जा रहा है।
वहीं केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल के आवास पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी है, और इस बीच आम आदमी पार्टी(आप) ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चार दिवसीय धरने को समाप्त कराने के लिए कदम उठाए हैं।
जबकि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपना अनशन और तीव्र करने की धमकी दी है।
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20 चिकित्सकों की एक टीम को उपराज्यपाल कार्यालय में भेजने से आप खेमे में अफरा-तफरी मच गई, जिस वजह से आप नेता संजय सिंह ने इस मुद्दे का हल निकालने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।
राजनाथ से मुलाकात बाद, संजय सिह ने दावा किया कि केंद्र ने मौजूदा स्थिति के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल से बात कर इसका हल निकालने पर सहमति जताई है।
राजनाथ इस स्थिति पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं, वहीं केजरीवाल ने इस मुद्दे पर मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।
केजरीवाल ने एक पत्र में लिखा है, 'दिल्ली में आईएएस अधिकारी पिछले तीन महीनों से हड़ताल पर हैं और इससे कई प्रशासनिक काम बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस हड़ताल को समाप्त कराने के लिए, मैं और कैबिनेट के मेरे तीन मंत्री उपराज्यपाल कार्यालय में धरना दे रहे हैं, लेकिन आपके उपराज्यपाल कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा है, 'दिल्ली प्रशासन में आईएएस अधिकारी पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन हैं, इसलिए मैंने इस मुद्दे पर गुरुवार को भी आपको पत्र लिखा था, लेकिन आपकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।'
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केजरीवाल ने कहा है, '17 जून को प्रस्तावित नीति आयोग की बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा होगी, उसे इन्हीं आईएएस अधिकारियों को निष्पादित करना होगा..इन आईएएस अधिकारियों को (केंद्र द्वारा) दिल्ली सरकार की बैठकों में आने से रोक दिया गया है। मुझे बताइए, अगर आपके द्वारा बुलाई गई बैठकों में आईएएस अधिकारी आना बंद कर दें, तो क्या आप कोई भी काम कर पाएंगे?'
उन्होंने कहा है, 'मैं उम्मीद करता हूं कि आईएएस अधिकारियों की हड़ताल 17 जून से पहले समाप्त हो जाएगी, ताकि मैं उस दिन नीति आयोग की बैठक में शामिल हो सकूं।'
केजरीवाल दिल्ली प्रशासन में काम कर रहे आईएएस अधिकारियों की अघोषित हड़ताल समाप्त करवाने, काम नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और दिल्ली सरकार के गरीबों के घर तक राशन पहुंचाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा, 'रविवार के बाद अगर हमारी मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, तो हम घर-घर जाएंगे और 10 लाख परिवारों के हस्ताक्षर लेकर आएंगे। हम इसे प्रधानामंत्री के पास भेजेंगे। वह मेरी मांगों पर जवाब नहीं दे रहे हैं, इसलिए दिल्ली के लोग अब उनसे सवाल पूछेंगे।'
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केजरीवाल ने कहा, 'हमारी सरकार ने बीते तीन सालों में बहुत कुछ किया है, जिसके बारे में उनके लिए बताना कठिन है। वे लोग बीते 15 वर्षो से मध्यप्रदेश में सत्ता में हैं, गुजरात में बीते 30 वर्ष से सत्ता में हैं। क्योंकि वे अपने राज्यों में विकास कार्य नहीं कर पाए, इसलिए वे हमें रोकना चाहते हैं।'
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह अपने लिए या अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं यहां एसी या सोफे के लिए नहीं बैठा हुआ हूं। यह मेरे घर में है। अगर आपको लगता है कि मैं यहां अपने आराम के लिए बैठा हूं, तो अपने सोफे पर जाकर चार दिनों तक सोने की कोशिश कीजिए। हम यहां दिल्ली, और दिल्ली के लोगों के लिए हैं।'
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एंबुलेंस और 20 डॉक्टरों का समूह शुक्रवार को उपराज्यपाल के कार्यालय पहुंचा, जहां स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के भूख हड़ताल का यह क्रमश: चौथा और तीसरा दिन है।
पुष्ट सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। उपराज्यपाल कार्यालय इनलोगों को जबरन यहां से हटाने की योजना बना रहा है।
सिसोदिया ने भी वीडियो जारी कर कहा है कि वे लोग अपनी मांगों को पूरा नहीं होने तक धरना समाप्त नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, 'हम उपराज्यपाल के कार्यालय में पिछले पांच दिनों से बैठे हुए हैं। जैनजी पिछले चार दिनों से भूख हड़ताल पर हैं और मैं बीते तीन दिनों से भूख हड़ताल पर हूं। हमलोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं और हमारा शरीर पूरी तरह से सही है।'
सिसोदिया ने कहा, 'हमें बताया गया है कि यहां डॉक्टरों को बुलाया गया है और हमें जबरन यहां से हटाने का प्रयास करने की योजना है।'
उन्होंने उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री को ऐसा कुछ भी करने के खिलाफ चेतावनी दी, अगर उनके साथ जबरदस्ती की गई तो वे पानी पीना भी छोड़ देंगे।
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Source : News Nation Bureau