उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती पर पीएसए की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं, कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने किया ट्वीट
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ की गई कार्रवाई पर कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने नाराजगी जताते हुए कहा, दोनों नेताओं पर पीएसए लगाए जाने से मैं हैरान हूं.
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA-पीएसए) के तहत शिकंजा और कस गया है. उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ की गई कार्रवाई पर कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने नाराजगी जताते हुए कहा, दोनों नेताओं पर पीएसए लगाए जाने से मैं हैरान हूं. पी. चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा, 'उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं. आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम है. जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?'
उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती और अन्य लोगों के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट के क्रूर आह्वान से हैरान और परेशान हूं।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 7, 2020
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पी. चिदंबरम ने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि विरोध प्रदर्शन से अराजकता होगी और संसद-विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों का पालन करना होगा. वह इतिहास और महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला के प्रेरक उदाहरणों को भूल गए हैं. शांतिपूर्ण प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा के माध्यम से अन्यायपूर्ण कानूनों का विरोध किया जाना चाहिए. यह सत्याग्रह है.'
पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम में बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक की गिरफ्तारी या नज़रबंदी की अनुमति देता है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (PSA)के तहत मामला दर्ज किया गया है. इससे पहले कई अन्य नेताओं पर भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का नाम भी शामिल है.
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बता दें कि 5 अगस्त 2019 से एहतियाती तौर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया है. गुरुवार यानी 6 फरवरी को इनपर जन सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. यानी इस कानून के तहत इन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है. इन्हें 3-6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम है. घाटी में अशांति नहीं फैले इसे लेकर अभी भी चौतरफा नजर रखी जा रही है. बधुवार को राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने जानकारी दी कि अगस्त 2019 से 444 व्यक्तियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत डिटेंशन आदेश जारी किए गए. वर्तमान में, पीएसए के तहत 389 व्यक्ति हिरासत में हैं.
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