ओडिशा: बाल विवाह के खिलाफ आदिवासी युवाओं ने फूंका बिगुल

ओडिशा के गोमोकपादार गांव की रायमति सौंटा ने पांच साल पहले 14 साल की नन्ही सी उम्र में शादी करने से इनकार कर अपने आस पास के लोगों के लिये एक नजीर पेश की थी।

ओडिशा के गोमोकपादार गांव की रायमति सौंटा ने पांच साल पहले 14 साल की नन्ही सी उम्र में शादी करने से इनकार कर अपने आस पास के लोगों के लिये एक नजीर पेश की थी।

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vineet kumar1
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ओडिशा: बाल विवाह के खिलाफ आदिवासी युवाओं ने फूंका बिगुल

प्रतीकात्मक फोटो

ओडिशा के गोमोकपादार गांव की रायमति सौंटा ने पांच साल पहले 14 साल की नन्ही सी उम्र में शादी करने से इनकार कर अपने आस पास के लोगों के लिये एक नजीर पेश की थी।

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मजबूत इरादों वाली रायमति ने अपने भाइयों और शिक्षकों के साथ मिलकर अपने माता पिता को इस योजना को टालने के लिये राजी किया था। अब रायमति एक स्थानीय स्कूल में इंटरमीडिएट की छात्रा है और इस कुरीति के खिलाफ अपने समुदाय के लोगों को जागरुक करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद कर रही है।

‘यूनीसेफ’, ‘ऐक्शन एड’ और रेडियो केंद्र चलाने वाले स्वैच्छिक संगठन ‘सोवा’ द्वारा हाल में आयोजित एक सामुदायिक रेडियो कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर मैंने इसका विरोध नहीं किया होता तो मेरा जीवन बर्बाद हो जाता। मैं तभी शादी कर सकती हूं जब मेरी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो जायेगी।’

आदिवासी बहुल जिला में गहरे तक पैठ बना चुकी बाल विवाह की कुरीति को रेखांकित करते इस कार्यक्रम में कई और बच्चों ने भी अपनी सफल कहानियां साझा कीं।

जिले के पोट्टांगी ब्लॉक के अंतर्गत थूरिया गांव के आनंदा पांगी ने बताया कि जब वह सिर्फ 16 साल के थे तभी उनके माता पिता ने उनकी शादी तय कर दी थी।

उन्होंने कहा, ‘मैंने इसका विरोध किया क्योंकि मैं पढ़ना चाहता था। मेरे फैसले ने मेरे माता पिता का दिल तोड़ दिया। लेकिन मैं खुश हूं क्योंकि अब मैं अपने दम पर अपना कॅरियर बनाने के लायक बन जाऊंगा।’

आनंदा अब 22-23 साल के हो चुके हैं और स्कूली शिक्षा के महत्व पर अपने समुदाय में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘आदिवासी संगठन की मदद से मैंने अपनी पंचायत के अंतर्गत स्कूल की पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की सूची तैयार की और अब मैं उन्हें दोबारा स्कूल भेजने की कोशिश कर रहा हूं।’

‘सोवा’ के सचिव संजीत पटनायक ने कहा कि कई कानूनों एवं जागरुकता मुहिमों के बावजूद आदिवासी समुदाय में बाल विवाह बेरोक-टोक जारी है।

उन्होंने कहा, ‘प्रेम संबंध मुख्य वजह है जिसके चलते माता पिता अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कर देते हैं। अगर किसी परिवार को यह पता चलता है कि उनकी लड़की का किसी के साथ प्रेम संबंध है तो उनका अगला कदम उसकी शादी करना होता है।’

जिला बाल सुरक्षा अधिकारी राजश्री दास ने कहा कि बीते दो वर्ष में अधिकारी करीब 20 बाल विवाहों को रोकने में सक्षम रहे।

Source : News Nation Bureau

odisha Tribal youth fight against child marriage
      
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