जीएसटी, नोटबंदी और टैक्स से जुड़े मामलों के कारण सुप्रीम कोर्ट में कई मामलों के आंकड़ों में इजाफा हुआ है, जिसके कारण अधिकारियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है।
कानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच 4,229 मामले सामने आए थे। 2016 में ऐसे मामलों की संख्या 3,497 थी, जबकि 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2015 के बीच 3,909 मामले दर्ज किए गए।
इस साल 1 जनवरी से 22 फरवरी के बीच सुप्रीम कोर्ट में 859 मामले दर्ज किए गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2012 में, शीर्ष अदालत में सरकार से जुड़े 4,149 मामले थे और यह आंकड़ा 2013 में 4,772 तक बढ़ गया।
2014 में जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तब मामलों की संख्या 4,748 थी। 2015 में मामलों की संख्या 3,909 तक घट गई।
कानून मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जीएसटी, नोटबंदी और टैक्स से जुड़े मामलों के कारण केस में इजाफा हुआ है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में मामलों की संख्या बढ़ गई है।
भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले कानून अधिकारियों की संख्या में कमी आई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले कानून अधिकारियों की संख्या अगले हफ्ते 10 तक बढ़ सकती है।
अमन लेखी, माधवी दीवान, संदीप सेठी और बिक्रमजीत बनर्जी के नाम की सिफारिश करने वाली विधि मंत्रालय ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में अंतिम मंजूरी के लिए प्रधान मंत्री के कार्यालय में पहुंचे हैं।
सरकार के सूत्रों ने कहा कि चार नामों पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति की अंतिम मंजूरी अगले हफ्ते होने की संभावना है। रंजीत कुमार ने पिछले साल अक्टूबर में सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से यह पद खाली है।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के अलावा, पांच एएसजी सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि चूंकि कानून के कई अधिकारी नहीं हैं, इसलिए संवेदनशील मामलों का भी नियंत्रण किया जा रहा है जो कानून मंत्रालय के पैनल में हैं।
Source : News Nation Bureau