तबलीगी जमात से निजामुद्दीन मरकज को खाली कराने उतरना पड़ा एनएसए प्रमुख अजित डोभाल को
मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस के मस्जिद खाली कराने के सभी प्रयासों और निवेदनों को सिरे से खारिज कर दिया था. ऐसे में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमित शाह को अंततः अजित डोभाल को इस मुहिम की कमान सौंपनी पड़ी.
highlights
- तबलीगी जमात के दिल्ली प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद ने अपनाया अड़ियल रुख.
- दिल्ली पुलिस की बार-बार अपील को किया था अनसुना और जिद पर रहे कायम.
- गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर एनएसए प्रमुख डोभाल ने समझाया साद को.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) प्रमुख अजित डोभाल पर देश को बाह्य और आंतरिक स्तर पर ही बचाने की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि नागरिकता संशोधान कानून या कोरोना वायरस (Corona Virus) से देश के भीतर मचे हड़कंप को दूर करने में भी वह 'ट्रबल शूटर' साबित हो रहे हैं. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित बंगलेवाली मस्जिद (Nijamuddin Markaz) को तबलीगी जमात से जुड़े सैकड़ों सदस्यों से खाली कराने में भी डोभाल को ही मशक्कत करनी पड़ी. दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज के सर्वेसर्वा मोलाना मोहम्मद साद (Maulana Mohammad Saad) के अड़ियल रवैये को देख गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर अजित डोभाल (Ajit Doval) ने पहल की और सभी को जांच के लिए अस्पताल और पॉजिटिव पाए जाने पर क्वेरंटाइन रखने पर राजी किया. उन्होंने 28-29 मार्च की दरमियानी रात को इस जिम्मेदारी को अंजाम दिया.
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तबलीगी जमात ने अपनाया था अड़ियल रवैया
गृह मंत्रालय से जुड़े आला अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तबलीगी जमात से लौटे इंडोनेशिया के 9 नागरिकों को तेलंगाना के करीमनगर में कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाया गया था. इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों समेत गृह मंत्री अमित शाह के लिए दिल्ली की मस्जिद को खाली कराना प्रमुख चुनौती बन गया था. खासकर यह देखते हुए कि मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस के मस्जिद खाली कराने के सभी प्रयासों और निवेदनों को सिरे से खारिज कर दिया था. ऐसे में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमित शाह को अंततः अजित डोभाल को इस मुहिम की कमान सौंपनी पड़ी.
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हजारों की संख्या में 'कोरोना बम' देश के कोने-कोने में पहुंचे
इसके बाद अजित डोभाल मरकज पहुंचे और सभी को कोरोना वायरस की जांच के लिए राजी किया. उसी रात 167 तबलीगी कार्यकर्ताओं को अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद कई और चरणों में सभी को अस्पताल पहुंचाया गया. इनमें से 93 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. यही नहीं, तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद हजारों की संख्या में कार्यकर्ता देश के कोने-कोने में वापस लौट चुके हैं. ऐसे में सक्रिय 'कोरोना बम' कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ लॉकडाउन के उद्देश्य को किस तरह से पलीता लगा चुके हैं, यह सोच कर ही सिहरन पैदा हो जाती है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक तबलीगी जमात में शामिल होने के बाद इसके कार्यकर्ता देश के 19 अलग-अलग राज्यों में पहुंचे हैं.
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एसएचओ की बात को कर दिया था अनसुना
गौरतलब है कि तबलीगी कांड में मंगलवार रात एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में इंस्पेक्टर एसएचओ निजामुद्दीन मुकेश वालिया मरकज तबलीगी जमात के प्रबंधन के साथ बैठे हुए हैं. एसएचओ चेतावनी के साथ साथ समझा रहे हैं कि मरकज में भीड़ न लगायें, जो लोग हैं उन्हें तुरंत यहां से आउट कर दें. अगर आप लोग नहीं मानेंगे और हमारी बात नहीं सुनेंगे तो ठीक नहीं होगा. एसएचओ की यह तमाम चेतावनियां भी मरकज प्रबंधकों ने नजरंदाज कर दीं. जिसके चलते जमात में 24 मार्च को भी हजारों की तादाद में भीड़ मौजूद रही. इसके बाद भी यहां लोगों का हुजूम बरकरार रहा. जाहिर है इन जीवित कोरोना बम का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है. खबर लिखे जाने तक 93 तबलीगी जमात के सदस्य पॉजिटिव पाए जा चुके हैं.
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