पश्चिम बंगाल भाजपा (बीजेपी)प्रमुख दिलीप घोष ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने से केंद्र को रोकने की चुनौती दी और कहा कि राज्य में एनआरसी जरूरी है क्योंकि घुसपैठिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के वोट बैंक बन गए हैं. उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विरोध करने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की और आरोप लगाया कि देश के लिए हर अच्छी चीज का विरोध करना उनकी आदत बन चुकी है.
घोष ने संवाददाताओं से कहा, ‘सीएए केंद्रीय कानून है जिसे देश भर में लागू किया जाएगा. अगर ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में इसे लागू करने से रोक सकती हैं, तो वह रोक लें.’ उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना चाहिए. ममता बनर्जी को घुसपैठियों की मदद की जरूरत है, क्योंकि वो उनके वोटबैंक बन चुके हैं.
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उन्होंने कहा कि पहले यहां नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने दीजिए फिर हम देखेंगे कि एनआरसी के साथ क्या हो सकता है. हम यह नहीं कह रहे कि हम इसे लागू करेंगे, लेकिन हमारा मानना है कि घुसपैठियों को बाहर करने के लिए यह होना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली में एक रैली में कहा था कि उनकी सरकार ने 2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से राष्ट्रव्यापी एनआरसी को लेकर कभी चर्चा नहीं की है.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने घोष के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विवाद का पिटारा खुल चुका है.उन्होंने कहा कि देश भर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन से वे (बीजेपी) बैकफुट पर हैं, इसलिए उन्होंने कहा था कि वे एनआरसी लागू नहीं करेंगे. लेकिन तथ्य ये है कि वे प्रदर्शन शांत होने के बाद देश भर में इसे लागू करना चाहते हैं. असम में एनआरसी को अद्यतन किए जाने के संबंध में घोष ने कहा कि भाजपा (बीजेपी)का इससे कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुआ है.
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उन्होंने कहा, ‘लेकिन, कुछ चूक हुई है जिसका फिलहाल निराकरण किया जा रहा है.’ एनपीआर के बारे में उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने 2010 में इसकी शुरूआत की थी. इसके बाद हम (बीजेपी) सत्ता में आए. यह सरकार का दायित्व है कि प्रक्रिया को जारी रखे .
Source : Bhasha