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अब क्या करेंगी सोनिया गांधी... चुनावी हार पर समूह ने सौंपी रिपोर्ट

इस समूह में कांग्रेस के सीनियर नेता सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी और विंसेट पाला भी शामिल थे. वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण इस समूह का नेतृत्व कर रहे थे.

Updated on: 02 Jun 2021, 07:12 AM

highlights

  • विधानसभा चुनावों में मिली हार पर गठित समूह ने रिपोर्ट सौंपी
  • सोनिया गांधी ने दिया था रिपोर्ट पेश करने को दो हफ्ते का समय
  • समिति में जी-23 समूह के मनीष तिवारी भी रहे थे शामिल

नई दिल्ली:

हाल ही में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में संपन्न विधानसभा चुनावों में फिर से हार के बाद कांग्रेस में अंदरूनी कलह तेज हो गई है. अगर तमिलनाडु को छोड़ दिया जाए तो बाकी राज्यों में कांग्रेस (Congress) का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है. ऐसे में विधानसभा चुनावों में हार के कारणों का पता लगाने के लिए कांग्रेस ने 5 सदस्यों का एक समूह गठित किया था. इस समूह ने अब अपनी रिपोर्ट कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. अब देकने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष इस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाती हैं.

दो हफ्ते का था समय
जानकारी के मुताबिक, इस समूह में कांग्रेस के सीनियर नेता सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी और विंसेट पाला भी शामिल थे. वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण इस समूह का नेतृत्व कर रहे थे. इसके सदस्यों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के नेताओं के साथ कई बैठकें कीं. समूह को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो हफ्ते का समय दिया गया था.

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सोनिया गांधी ने दिया था प्रस्ताव
आपको बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी कांग्रेस के उस जी 23 समूह का हिस्सा हैं जो पार्टी में संगठनात्मक चुनाव और जिम्मेदारी के साथ जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग पिछले कई महीनों से कर रहा है. कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की डिजिटल बैठक में सोनिया गांधी ने प्रस्ताव दिया था कि चुनाव नतीजों के कारणों का पता लगाने के लिए एक छोटा समूह गठित किया जाए. इस पर सीडब्ल्यूसी ने अपनी सहमति दी थी.

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पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का स्कोर रहा शून्य
गौरतलब है कि असम और केरल में सत्ता में वापसी का प्रयास कर रही कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी. वहीं, पश्चिम बंगाल में उसका खाता भी नहीं खुल सका. पुडुचेरी में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा जहां कुछ महीने पहले तक वह सत्ता में थी. तमिलनाडु में उसके लिए राहत की बात रही कि द्रमुक की अगुवाई वाले उसके गठबंधन को जीत मिली.