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अब मनमोहन सिंह को लेकर कांग्रेस टेंशन में, समझ नहीं आ रहा करें तो क्या करें

असम विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की वर्तमान संख्या के हिसाब से मनमोहन सिंह की सीट नहीं बचाई जा सकती.

Updated on: 28 May 2019, 02:39 PM

highlights

  • 7 जून को मनमोहन सिंह का राज्यसभा कार्यकाल हो रहा है खत्म.
  • कांग्रेस के पास असम में इतना संख्याबल नहीं कि वह पूर्व पीएम को चुन सके.
  • अगले साल भी राज्यसभा चुनाव होने पर कांग्रेस के लिए फंसेगा पेंच.

नई दिल्ली.:

अभी राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े रहने का मसला सुलझा भी नहीं है कि कांग्रेस को एक और टेंशन ने घेर लिया है. यह टेंशन है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जुड़ी हुई, जिनका राज्यसभा कार्यकाल जून में खत्म हो रहा है. कांग्रेस के सामने समस्या यह है कि वह मनमोहन सिंह को वापस राज्यसभा कैसे भेजे. उसके पास इसके लिए जरूरी संख्याबल नहीं है. वैसे भी बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत और कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने से राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत अब सिर्फ वक्ती बात रह गया है.

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मनमोहन सिंह कैसे जाएंगे राज्यसभा में, कांग्रेस पसोपेश में
गौरतलब है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा सांसद हैं. उनका कार्यकाल जून में खत्म हो रहा और राज्यसभा चुनाव 7 जून को होना है. आर्थिक नीतियों के विशेषज्ञ बतौर मनमोहन सिंह का संसद में न रहना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा. हालांकि कांग्रेस के लिए संख्याबल उसके लिए चुनौती बन रहा है. असम विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की वर्तमान संख्या के हिसाब से मनमोहन सिंह की सीट नहीं बचाई जा सकती. इसके अलावा असम से ही एक और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद एस कुजूर भी 14 जून को रिटायर हो रहे हैं. इनकी सीट भी बीजेपी के खाते में जाना तय है.

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जेडीएस करेगी कांग्रेस की आस पूरी
अगले साल 22 राज्यों को 72 सीटों पर जब राज्यसभा चुनाव होगा, तो कांग्रेस के पास एक मौका होगा कि वह मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेज पाए लेकिन उसके लिए भी उसे जेडीएस की मदद चाहिए होगी. हालांकि एक पेंच यहां भी फंसा हुआ है. वह यह है कि कांग्रेस और जेडीएस को मनमोहन सिंह या एचडी देवगौड़ा में से किसी एक को ही चुनना होगा. जाहिर है कि जेडीएस पहले पहल जेवगौड़ा को ही तरजीह देगी.

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अगले साल बीजेपी का राज्यसभा में होगा बहुमत
इधर लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन को मिले प्रचंड बहुमत और कांग्रेस का कई राज्यों से सूपड़ा साफ होने का सीधा फायदा बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत में आने के रूप में मिलेगा. अगले साल नवंबर तक बीजेपी राज्यसभा में पूर्ण बहुमत वाली पार्टी हो जाएगी. इससे उसके लिए विधायी काम कहीं और आसान हो जाएंगे. इसका एक अर्थ यह भी निकलता ही कि तीन तलाक, अवैध नागरिकता सरीखे बिल आसानी से पास हो जाएंगे.