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जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग, पहले भी 888 दिन रह चुका है राज्यपाल शासन

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ आकर सरकार बनाने की अटकलों के बीचे राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को ही भंग कर दिया

Updated on: 22 Nov 2018, 08:55 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ आकर सरकार बनाने की अटकलों के बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को ही भंग कर दिया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी राज्य में राजनीतिक संकट को देखते हुए वहां विधानसभा के कार्यकाल के पूरे होने से पहले ही उसे भंग कर दिया गया हो...अभी हाल ही में तेलंगाना में भी के चंद्रशेखर राव ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी जिसके बाद अब वहां आने वाले दिनों में चुनाव होंगे.

जम्मू-कश्मीर में अचानक क्यों भंग की गई विधानसभा

बीजेपी पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लगा हुआ था जो अधिकतम 6 महीने तक ही रह सकता था. लेकिन इसी बीच बीजेपी को छोड़कर राज्य की बड़ी पार्टियों पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर 56 विधायकों के समर्थन से राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. इसी दौरान पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने भी राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा करते हुए चिट्ठी भेज दी और कहा कि बीजेपी विधायकों का समर्थन उनके पास है. अभी यह कयास लगाए ही जा रहे थे कि किन पार्टियों को सरकार बनाने का मौका मिलेगा राज्यपाल ने बड़ा फैसला लेते हुए विधानसभा को ही भंग करने का आदेश जारी कर दिया.

जम्मू कश्मीर में 8 बार लग चुका है राज्यपाल शासन

जम्मू-कश्मीर में यह पहली बार नहीं है जब राज्यपाल शासन लगाया गया है. इससे पहले राज्य में 8 बार ऐसा हो चुका है. जम्मू कश्मीर में पहली बार 26 मार्च 1977 से 9 जुलाई 1977 तक, दूसरी बार 6 मार्च 1986 से 7 नवंबर 1986 तक, तीसरी बार 19 जनवरी 1990 से 9 अक्तूबर 1996 तक, चौथी बार 18 अक्तूबर 2002 से 2 नवंबर 2002 तक, पांचवीं बार 11 जुलाई 2008 से 5 जनवरी 2009 तक, छठी बार 9 जनवरी 2015 से 1 मार्च 2015 तक, सातवीं बार 8 जनवरी 2016 से 4 अप्रैल 2016 तक और आठवीं बार 19 जून 2018 से अब तक राज्यपाल शासन लग चुका है.

19 दिसंबर को खत्म होगा राज्यपाल शासन

पीडीपी-बीजेपी के अलग होने के बाद से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा हुआ है और इसकी अधिकतम समय सीमा 6 महीने ही है. 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन की मियाद पूरी हो रही है और इसे बढ़ाना अब संभव नहीं था. इस दौरान पार्टियों में सरकार बनाने को लेकर सहमति नहीं बनी थी लेकिन जैसे ही सरकार बनाने को लेकर अटकलबाजियों का दौर शुरू हुआ राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने का फैसला कर लिया. सत्यपाल मलिक ने इस फैसले का कारण बताते हुए कहा कि सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोक्त शुरू ने हो जाए इसलिए विधानसभा को भंग कर दिया गया. इसी साल 16 जून को बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन टूटा था.