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UN में भारत की दो टूक, सिर्फ ईसाई और मुस्लिम ही क्यों, इन सब के खिलाफ भी बंद होनी चाहिए रिलिजियोफोबिया

रिलिजियोफोबिया केवल 1 या 2 धर्मों को शामिल करने वाला एक चयनात्मक अभ्यास नहीं होना चाहिए, बल्कि गैर-अब्राहम धर्मों के खिलाफ भी समान रूप से लागू होना चाहिए.

Updated on: 19 Jun 2022, 12:30 PM

New Delhi:

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि धार्मिक भय (रिलिजियोफोबिया) पर ‘‘दोहरे मानदंड’’ नहीं हो सकते हैं. रिलिजियोफोबिया केवल 1 या 2 धर्मों को शामिल करने वाला एक चयनात्मक अभ्यास नहीं होना चाहिए, बल्कि गैर-अब्राहम धर्मों के खिलाफ भी समान रूप से लागू होना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि भारत आतंकवाद, खासकर सीमा पार सबसे बड़ा आतंकवाद है. तिरुमूर्ति ने ‘घृणास्पद भाषण से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस’ पर आयोजित एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम में कहा, ‘‘जैसा कि हमने बार-बार जोर दिया है कि केवल एक या दो धर्मों को शामिल कर रिलिजियोफोबिया के मुकाबले की कवायद चुनिंदा नहीं होनी चाहिए, बल्कि गैर-अब्राहम धर्मों के खिलाफ भी यह फोबिया पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. और जब तक ऐसा नहीं होगा तबतक कोई मुकाम हासिल नहीं होगा. रिलिजियोफोबिया पर दोहरे मापदंड नहीं हो सकते.’’

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भारत ने दिया शरण
तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र में कई मौकों पर रेखांकित किया है कि धार्मिक भय के समकालीन रूपों को गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थलों पर हमलों में वृद्धि या कई देशों में गैर-अब्राहम धर्मों के खिलाफ घृणा और दुष्प्रचार के प्रसार में देखा जा सकता है. जानकारों के मुताबिक तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘भारत आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार रहा है, खासकर सीमा पार आतंकवाद का. हम देशों से एक ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करने का आह्वान करते हैं जो बहुलवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देकर उनका सामना सही मायने में कर सके. 

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