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लॉकडाउन नहीं विशेषज्ञ इसे मान रहे कोरोना रोकने का कारगर हथियार

Corona Update: महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कई जिलों में लॉकडाउन लगाया जा चुका है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग में भी लॉकडाउन लगाया गया है. सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भी तेजी के साथ मामले बढ़ रहे हैं.

Updated on: 03 Apr 2021, 09:01 AM

highlights

  • महाराष्ट्र, एमपी और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में लगा लॉकडाउन
  • विशेषज्ञ लॉकडाउन को नहीं मान रहे कोरोना रोकने का प्रभावी इलाज
  • वैक्सीनेशन पर दिया जा रहा सबसे अधिक जोर

नई दिल्ली:

देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. अब प्रतिदिन आने वाले मामलों की संख्या 80 हजार से ऊपर पहुंच गई है. महाराष्ट्र देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है. यहां शुक्रवार को भी 47 हजार से अधिक मामले सामने आए. ऐसे में लॉकडाउन की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र के कई जिलों में हल्का लॉकडाउन लगाया भी जा चुका है. शुक्रवार को कोरोना के बेकाबू होते हालातों के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर कोरोना की ऐसी ही स्थिति बनी रहती है तो मैं लॉकडाउन लगाने से इनकार नहीं कर सकता.

लॉकडाउन नहीं है प्रभावी समाधान?
दरअसल इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल भी जब लॉकडाउन कोरोना मामलों को रोकने की बजाए महामारी के पीक को टालने के लिए लगाया गया था. लॉकडाउन से कोरोना की पीक को तो टाला जा सकता है लेकिन यह कोरोना को पूरी तरह खत्म करने का इलाज नहीं है. जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा, मामले फिर तेजी से बढ़ने लगेंगे. बीते मार्च में लॉकडाउन लगाने के बाद भी कोरोना मामले बेहद तेजी के साथ बढ़े थे. सरकार की ही रिपोर्ट में बताया गया कि अगर लॉकडाउन नहीं लगाया गया होता तो संक्रमितों की संख्या कहीं ज्यादा होती. यानी महामारी का जो पीक सितंबर महीने में आया वो पहले ही आ गया होता, जिसके लिए स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से तैयार नहीं थी. यानी लॉकडाउन ने हमें समय दे दिया.

कोरोना की पीक टालने का सबसे प्रभावी तरीका लॉकडाउन
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन महामारी रोकने का प्रभावी तरीका तो है लेकिन शुरुआती चरण में. यानी कि जैसा पिछले साल किया गया था. उस समय महामारी के पीक को टालने के सरकारी प्रयास सफल रहे थे. इस बार के हालात इससे अलग है. पिछली बार केस की संख्या 10000 से 80000 पहुंचने में तीन महीने का वक्त लगा था. वहीं इस बार ये समय करीब एक महीने दस दिन का रहा. विशेषज्ञ दूसरी लहर में हल्के लॉकडाउन के साथ टेस्टिंग, ट्रेसिंग और आइसोलेशन के फॉर्मूले को महामारी रोकने के लिए ज्यादा कारगर हथियार मानते रहे हैं.

वैक्सीनेशन से ही उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों को देखकर समझा जा सकता है कि प्रतिबंधों के बावजूद कोरोना केस बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट ने इशारा किया है कि कोरोना को रोकने के लिए अब वैक्सीनेशन ही एक मात्रा आशा है. कहा गया है कि अगर लोग और बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन में दिलचस्पी दिखाएंगे तो अगले चार-पांच महीनों में 45 के ऊपर की पूरी आबादी को टीका दिया जा सकेगा.