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13 बार गैर गांधी परिवार के हाथ में रही कांग्रेस की कमान, इस बार भी हो सकता है संभव; जानें क्या है इतिहास

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चिट्ठी ट्वीटर पर पोस्ट कर दी है.

Updated on: 04 Jul 2019, 11:03 AM

नई दिल्ली:

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चिट्ठी ट्वीटर पर पोस्ट कर दी है. राहुल गांधी ने अपना ट्विटर हैंडल में कांग्रेस अध्यक्ष की जगह सांसद लिखा है. कहा जा रहा है कि अब पार्टी गांधी परिवार से अलग किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की तैयारी में है.

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वायनाड के सांसद राहुल गांधी खुद पहले भी संकेत दे चुके हैं. अगर ऐसा हुआ तो दो दशक बाद कांग्रेस को कोई गैर गांधी अध्यक्ष मिलेगा. अगर कांग्रेस के इतिहास की ओर देखें तो पता चलता है कि 1947 से लेकर अब तक कांग्रेस के 18 अध्यक्ष हुए हैं. इनमें से सिर्फ 5 अध्यक्ष ही गांधी परिवार से रहे, जबकि 13 अध्यक्ष गैर कांग्रेसी रहा. इससे साफ है कि ज्यादा समय तक कांग्रेस के पास अध्यक्ष पद की कमान नहीं रही है.

ये है कांग्रेस का इतिहास

1947: 1947 में देश की आजादी के बाद जेबी कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्हें मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में यह जिम्मेदारी मिली थी. उन्हें महात्मा गांधी के भरोसेमंद व्यक्तियों में माना जाता था.

1948-49: इस दौरान कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया के पास रही. उन्होंने जयपुर कांफ्रेंस की अध्यक्षता की.

1950: 1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्होंने नासिक अधिवेशन की अध्यक्षता की. यह पुरुषोत्तम दास टंडन ही थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा देने की मांग की थी.

1955 से 1959: यूएन ढेबर इस बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की थी. 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं.

1960-1963: नीलम संजीव रेड्डी इस दरम्यान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उन्होंने बंगलूरु, भावनगर और पटना के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. बाद में नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति हुए थे.

1964-1967: भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष हुए थे. उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की थी. कहा जाता है कि यह के कामराज ही थे, जिन्होंने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई थी.

1968-1969: एस. निजलिंगप्पा ने 1968 से 1969 तक कांग्रेस की अध्यक्षता की थी. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

1970-71: बाबू जगजीवन राम 1970-71 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे.

1972-74: शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला था.

1975-77: देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. यह इमरजेंसी का दौर था. देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था.

1977-78: ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया. इसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस (आई) की अध्यक्ष बनीं. वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं. उसके बाद 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

1992-96: राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव 1992-96 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी.

1996-98: सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने. वह 1996-1998 तक इस पद पर रहे. सीताराम केसरी का विवादों से नाता रहा. इसके बाद 1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं. फिर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने.