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नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी एबीवीपी के अधिवेशन में होंगे शामिल

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी एबीवीपी के अधिवेशन में होंगे शामिल

Updated on: 14 Dec 2021, 11:40 PM

नई दिल्ली:

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 67 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में कैलाश सत्यार्थी शामिल होंगे। कैलाश सत्यार्थी नोबल पुरस्कार विजेता हैं। वह जबलपुर में 24 दिसम्बर से होने वाले एबीवीपी के 67वे राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

कैलाश सत्यार्थी एक भारतीय समाज सुधारक हैं जिन्होंने भारत में बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाया और शिक्षा के सार्वभौमिक अधिकार की वकालत की। बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ और सभी बच्चों के शिक्षा के अधिकार के उनके संघर्ष के लिए वर्ष 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ। वह बचपन बचाओ आंदोलन, ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर, ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता संगठनों के संस्थापक हैं।

विदित हो कि 24 -26 दिसम्बर को अभाविप का राष्ट्रीय अधिवेशन जबलपुर में होने जा रहा है। इस अधिवेशन में देश के सभी हिस्सों से प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। वर्ष भर की दिशा को लेकर इस अधिवेशन में युवा मंथन करेंगे एवं प्रस्ताव भी पारित करेंगे। मुख्य अतिथि अधिवेशन के उद्घाटन सत्र एवं प्रतिष्ठित प्रोफेसर यशवंत राव केलकर युवा पुरस्कार के वितरण में सहभागी होंगे।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, हमारा सौभाग्य है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में युवाओं को प्रेरणा देने वाले व्यक्तित्व हमारे बीच में उपस्थित होंगे। कैलाश सत्यार्थी के विचार निश्चित ही सबको प्रेरणा देंगे। विद्यार्थी परिषद परिवार उनका दिल से स्वागत करता है।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अन्य सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय में धरना दिया था। इस प्रदर्शन में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रत्येक कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपने महाविद्यालय के बाहर प्रात 10 बजे से सांय 4 बजे तक धरना रहे हैं। उन्होंने प्रधानाचार्यों और विभाग प्रमुखों को कॉलेज खोलने का आग्रह करते हुए पत्र सौंपा।

गौरतलब है कि इसी वर्ष, अगस्त माह में अभाविप ने विश्वविद्यालय खोलने के लिए आंदोलन आरम्भ किया था, जिसके परिणामस्वरूप छात्र-छात्राओं के लिए प्रयोगशालाओं को खोला गया था तथा प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग-परीक्षण आरम्भ हुए थे। उस समय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा, चरणबद्ध तरीके से परिसर खोलने का वादा किया गया था। छात्रों का कहना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किया गया कॉलेजों को खोलने का वादा अब तक पूरा होता नहीं दिख रहा है।

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