दिल्ली मेट्रो में महिलाओं की 'मुफ्त यात्रा' प्रस्ताव को केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार से राय मशवरे किए बिना ही मंजूरी दे दी. अब केंद्र की तरफ से कहा गया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. दरअसल लोकसभा में टीएमसी सांसद सौगत राय ने दिल्ली सरकार की इस योजना को लेकर केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी से सवाल किया, जिसका जवाब में हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उन्हें इस तरह की किसी भी योजना के बारे में जानकारी नहीं है.
आपको बता दें कि टीएमसी सांसद के सवाल का जवाब देते हुए हरदीप पुरी ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा महिलाओं के लिए निशुल्क सवारी का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास नहीं आया है. उन्होंने आगे बताया कि, 'इस तरह की किसी भी योजना का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास दिल्ली सरकार के द्वारा नहीं भेजा गया है.' केंद्र सरकार के इस जवाब पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'हमारे अनुरोध पर दिल्ली मेट्रो ने अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. सैद्धांतिक रूप में उनका प्रस्ताव हमारे लिए सही है. हालांकि दिल्ली सरकार इसके विवरण का अध्ययन कर रही है. मैं दोहरा रहा हूं कि दिल्ली सरकार महिलाओं को मुफ्त मेट्रो की सवारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.'
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वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मेट्रो के फ्री राइड पर आपत्ति दर्ज करते हुए बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी पूरी तरह से महिलाओं के प्रति समर्पित है. हमलोग महिलाओं के लिए कुछ भी करेंगे, जो संभव है. उन्होंने कहा कि योजनाएं इस तरह से नहीं बनाई जाती है. पहले घोषणा करें फिर प्रोपोजल तैयार करें. वे वही चीज फिर से किया है जो अनाधिकृत कालोनी के केस में किया था.
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बता दें, 10 तारीख को श्रीधरन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि, 'दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर सहमत न हों. जब मेट्रो शुरू हुई थी तब यह निर्णय लिया गया था कि किसी को भी यात्रा के लिए मेट्रो में किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाएगी. इस फैसले का स्वागत खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और उन्होंने खुद टिकट लेकर दिसंबर 2002 में शाहदरा से कश्मीरी गेट तक पहली यात्रा की थी. दिल्ली मेट्रो केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार का संयुक्त उपक्रम है. कोई एक हिस्सेदार किसी एक हिस्से को रियायत देने का एकतरफा निर्णय नहीं ले सकता है'.
उन्होंने आगे कहा, 'मेट्रो का अपना स्टाफ यहां तक कि प्रबंध निदेशक भी जब यात्रा करते हैं तो टिकट खरीदते हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की योजना को लागू करने में 1000 करोड़ रुपये सालाना का खर्चा आएगा. यह खर्च साल दर साल बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि मेट्रो बढ़ेगी और किराए बढ़ेंगे. समाज के एक हिस्से को रियायत दी जाएगी, तो बाद में दूसरे इससे भी रियायत देने की मांग करेंगे जैसे कि छात्र, विकलांग, वरिष्ठ नागरिक आदि. जो कि इस रियायत के ज़्यादा हकदार हैं. यह बीमारी देश की दूसरी मेट्रो में भी फैलती जाएगी. इस कदम से दिल्ली मेट्रो अक्षम और कंगाल हो जाएगी. अगर दिल्ली सरकार महिला यात्रियों की मदद करना ही चाहती है तो उनके खातों में सीधा पैसा डाल दे.'
HIGHLIGHTS
- महिलाओं की मुफ्त यात्रा पर दिल्ली और केंद्र में नूराकुश्ती
- केजवरीवाल ने किया मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा का ऐलान
- केंद्र ने कहा हमारे पास नहीं आया कोई ऐसा प्रस्ताव