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J&K में पत्थरबाजों पर चाबुक... न सरकारी नौकरी, ना ही पासपोर्ट

नए संशोधन के अनुसार सेवारत कर्मचारियों को सीआईडी ​​से दोबारा सत्यापन की आवश्यकता के मामले में कई सारी जानकारियां देनी होगी.

Updated on: 01 Aug 2021, 02:04 PM

highlights

  • कश्मीर सीआईडी की विशेष शाखा ने जारी कर दिया सर्कुलर
  • नौकरी और पासपोर्ट के क्लीयरेंस से पहले देनी होगी जानकारी
  • राजनीतिक दल औऱ गतिविधियों तक का लिया जाएगा ब्योरा 

श्रीनगर:

5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) के खात्मे के दूसरे साल से चंद घंटों पहले केंद्र सरकार के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर के भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए एक और पहल की गई है. पाकिस्तान की शह पर स्थानीय अलगाववादियों के हाथों कठपुतली बने युवाओं को उनके देशद्रोह सरीखे कामों से रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की घोषणा की है. इसके तहत जम्मू-कश्मीर में अब देशद्रोहियों (Anti Nationals) और पत्थरबाजों (Stone Pelters) को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी. साथ ही ऐसे लोगों को पासपोर्ट भी नहीं मिलेगा यानी विदेश भी नहीं जा सकेंगे. 

सीआईडी की विशेष शाखा ने दिए आदेश
शनिवार को जारी आदेश के तहत सीआईडी ​​की विशेष शाखा ने सभी इकाइयों को इस सिलसिले में आदेश जारी कर दिया है. इसके तहत कहा गया है कि जिन लोगों से राज्य के कानून और व्यवस्था का खतरा है उन पर नज़र रखी जाए. आदेश में कहा गया है कि ऐसे लोगों पर सख्ती के लिए सभी डिजिटल साक्ष्य और पुलिस रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाएगा. इससे पहले, केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा नियमों में एक संशोधन किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकारी नौकरी पाने के लिए एक संतोषजनक सीआईडी ​​रिपोर्ट अनिवार्य है.

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पासपोर्ट वेरिफिकेशन से पहले कड़ी जांच
सीआईडी की विशेष शाखा कश्मीर ने सभी इकाइयों और अधिकारियों को इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. साथ ही कहा है जब किसी व्यक्ति की जांच करते हुए उसकी सुरक्षा मंजूरी की रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो उस समय यह जरूर ध्यान रखें कि संबधित व्यक्ति किसी भी तरह से पत्थरबाजी, राज्य व राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों, कानून व्यवस्था भंग करने में लिप्त न रहा हो. लोगों के लिए ये बताना अनिवार्य होगा कि क्या परिवार का कोई सदस्य या करीबी रिश्तेदार किसी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ा है या किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग लिया है या किसी विदेशी मिशन या संगठन के साथ संबंध हैं या जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी निर्धारित/प्रतिबंधित/प्रतिबंधित संगठन से संबध तो नहीं है.

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सेवारत कर्मचारियों के लिए भी नियम हुए कड़े
नए संशोधन के अनुसार सेवारत कर्मचारियों को सीआईडी ​​से दोबारा सत्यापन की आवश्यकता के मामले में कई सारी जानकारियां देनी होगी. इसके तहत नियुक्ति की तारीख से किसी की पोस्टिंग और पदोन्नति का विवरण प्रस्तुत करना होगा, इसके अलावा किसी के माता-पिता, पति या पत्नी, बच्चों और सौतेले पिता की नौकरी का विवरण देना होगा. साल 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 96 के तहत जारी जम्मू और कश्मीर (राज्य कानूनों का अनुकूलन) दूसरा आदेश, 2020 को मंजूरी दी थी.