logo-image

शाहीन बाग में लगे 'नो कैश नो पेटीएम' के पोस्टर, पैसे लेकर धरने में बैठने का जवाब

शाहीन बाग में चल प्रदर्शन के बीच 'नो कैश नो पेटीएम' के पोस्टर लगे दिखाई दिए हैं. ये पोस्टर उस आरोप के जवाब में लगाए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि यहां आने के लिए हर महिला को 500 रुपये दिए जा रहे हैं.

Updated on: 18 Jan 2020, 06:40 PM

highlights

  • शाहीन बाग में 'नो कैश नो पेटीएम' के पोस्टर लगे दिखाई दिए हैं.
  • पोस्टर्स अफवाह फैला रहे लोगों पर तंज और एक प्रकार का व्यंग्य.
  • जारी वीडियो शाहीन बाग के प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए ही है.

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)के खिलाफ पिछले एक महीने से अधिक समय से यहां शाहीन बाग में चल प्रदर्शन के बीच 'नो कैश नो पेटीएम' के पोस्टर लगे दिखाई दिए हैं. ये पोस्टर उस आरोप के जवाब में लगाए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि यहां आने के लिए हर महिला को 500 रुपये दिए जा रहे हैं. इस आरोप से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है. वायरल वीडियो में कहा गया है कि प्रत्येक महिला को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए 500 रुपये दिए जा रहे हैं. इसी वीडियो के जवाब में अब शाहीन बाग में जगह-जगह 'नो कैश नो पेटीएम' के पोस्टर लगाए गए हैं. प्रदर्शनकारियों के अनुसार, प्रदर्शन स्थल पर ये पोस्टर यह बताने के लिए लगाए गए हैं कि न यहां कोई पैसे ले रहा है और न कोई पैसे दे रहा है.

यह भी पढ़ेंः  CAA पर बोले रजा मुराद- जिसके बाप ने देश पर बम बरसाए उसे नागरिकता मिली तो औरों को क्यों नहीं

अफवाहें फैलाई जा रहीं
शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही मुमताज बताती हैं, 'बैंक अकाउंट ट्रांसफर, ऑनलाइन ट्रांसफर और कैश ये तीनों ही तरीके से यहां पैसे देना या लेना प्रतिबंधित है. प्रदर्शनकारियों के बीच लगे इस पोस्टर में भी तीनों ही प्रकार से लेनदेन की मनाही दिखाई गई है. इसके अलावा अब बार-बार शहीन बाग के इस मंच से भी प्रदर्शनकारियों को सतर्क किया जा रहा है.' यहां व्यवस्था संभाल रहीं आरफा ने कहां कि जो लोग सोशल मीडिया में शाहीन बाग की औरतों को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं, ये पोस्टर्स अफवाह फैला रहे उन लोगों पर तंज और एक प्रकार का व्यंग्य है.

यह भी पढ़ेंः निर्भया मामले में दोषियों के वकील को बार काउंसिल का नोटिस, हाईकोर्ट के आदेश पर उठाया गया कदम

500 साल बचाने के लिए है मुहिम
शनिवार सुबह शाहीन बाग की सड़क पर धरना देने पहुंचीं 63 वर्षीय अशर्फी ने कहा, 'हम यहां 500 रुपये लेने नहीं आए हैं, बल्कि हम तो अपने उन 500 सालों को बचाने आए हैं, जो हिंदुस्तान की इस मिट्टी में दफन है.' अशर्फी के मुताबिक, उन्हें डर है कि उन्होंने अब अगर आवाज नहीं उठाई तो आने वाले कल में उनके बच्चे मुसीबत में पड़ सकते हैं. गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में कहा गया है कि शाहीन बाग में धरना दे रहीं महिलाएं शिफ्ट के हिसाब से आती हैं और प्रत्येक शिफ्ट के लिए हर एक महिला को 500 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. इस वीडियो की सत्यता साबित नहीं हो पाई है.

यह भी पढ़ेंः जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए केंद्रीय मंत्री बोले- आर्टिकल-370 हटाने को लेकर हमें इसलिए इतना इंतजार करना पड़ा कि...

वायरल वीडियो से नाराज हैं लोग
सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो से स्थानीय लोग काफी नाराज हैं. लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर भी किया और कहा कि इसपर अधिक बात न की जाए. यहां मौजूद इमरान ने कहा कि सोशल मीडिया पर जारी वीडियो और उस पर की जा रही चर्चा सिर्फ शाहीन बाग के प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए है. इसलिए वह इस पर कोई बात ही नहीं करना चाहते. इस बीच दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे शाहीन बाग की मुख्य सड़क से हट जाए.

यह भी पढ़ेंः निर्भया के पिता का भी छलका दर्द, कहा- इंदिरा जयसिंह जैसे लोगों से ही बढ़ रहे बलात्कार के मामले

पुलिस ने कहा खाली कर दें सड़क
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा है, 'आपके इस तरह मुख्य सड़क मार्ग को अवरुद्ध करने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. इससे लोगों और छोटे स्कूली बच्चों को घंटों जाम का सामना करना पड़ रहा है.' पुलिस शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए क्षेत्रीय अमन कमेटी के सदस्यों से भी बात कर रही है. यहां विगत एक महीने से क्षेत्रीय महिलाओं नागरिकता कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन पर बैठी हैं.