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अब स्वास्थ्य अधिकारी खाएंगे बादाम-अखरोट, मरीजों की स्थिति राम जानें

अब मंत्रालय की कैंटीन और आधिकारिक बैठकों में जलपान के दौरान बिस्किट नहीं परोसे जाएंगे. इनकी जगह बादाम, अखरोट, खजूर और अन्य हेल्दी फूड्स परोसे जाएंगे.

Updated on: 29 Jun 2019, 04:26 PM

highlights

  • स्वास्थ्य मंत्रालय की कैंटीन और आधिकारिक बैठकों में बिस्किट नहीं परोसे जाएंगे.
  • इनकी जगह बादाम, अखरोट, खजूर और अन्य हेल्दी फूड्स परोसे जाएंगे.
  • यह तब है जब सरकारी अस्पताल दवाओं और संसाधनों की कमी से जूझ रहे.

नई दिल्ली.:

मोदी 2.0 सरकार का संभवतः यह पहला फैसला होगा, जिस पर विपक्ष को बैठे-बैठाए आलोचना करने का मुद्दा मिल जाएगा. मामला केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़ा हुआ है. इस मंत्रालय के सर्वेसर्वा डॉ हर्षवर्धन ने स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी फूड्स की वकालत करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनके तहत अब मंत्रालय की कैंटीन और आधिकारिक बैठकों में जलपान के दौरान बिस्किट नहीं परोसे जाएंगे. इनकी जगह बादाम, अखरोट, खजूर और अन्य हेल्दी फूड्स परोसे जाएंगे. जाहिर है जिस देश के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाने वाली दवाओं का पर्याप्त स्टॉक नहीं रहता, वहां सरकारी खर्च को बढ़ावा देते हेल्दी फूड्स को परोसना किस हद तक अक्लमंदी का फैसला करार दिया जाएगा.

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बेहतर स्वास्थ्य मिशन को बढ़ावा देने की पहल
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंत्रालय की कैंटीन और आधिकारिक बैठकों में बिस्किट नहीं परोसे जाने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को हेल्दी फूड्स परोसे जाने की वकालत की थी. इसके अनुपालन में मंत्रालय की कैंटीन और आधिकारिक कार्यक्रमों में अब लइया, चना, खजूर, भुने चने, बादाम और अखरोट ही परोसे जाएंगे. इसके साथ ही प्लास्टिक बंद पानी भी नहीं परोसे जाने के निर्देश दिए गए हैं.

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यह तब, जब सरकारी अस्पताल सुविधाओं से अछूते
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक बिस्किट की अपेक्षा लइया, चना, खजूर, भूने चने, बादाम और अखरोट तमाम मिनरल्स और विटामिन से भरपूर होते हैं. इसके अलावा चना, खजूर, बादाम और अखरोट को भी काफी स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है. हालांकि यह समझ से परे है कि सरकारी अस्पताल जब मूलभूत संसाधनों और दवाईयों की कमी से जूझ रहे हों तो ऐसे में बादाम, अखरोट जैसे महंगे मेवों पर सरकारी रकम खर्च करना कहां तक बुद्धिमानी है.