बिहार में फिर दिखेगी नीतीश कुमार और सुशील मोदी की जोड़ी, बहुत पुराना है याराना

20 महीने पहले ही नीतीश ने बीजेपी से अपना 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ कर आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था।

20 महीने पहले ही नीतीश ने बीजेपी से अपना 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ कर आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था।

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Deepak Kumar
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बिहार में फिर दिखेगी नीतीश कुमार और सुशील मोदी की जोड़ी, बहुत पुराना है याराना

नीतीश-मोदी फिर आए साथ (पीटीआई)

बिहार में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर एक बार फिर से सरकार का गठन किया है। गुरुवार को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के तौर पर तो सुशील मोदी ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया। सुशील मोदी तीसरी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं। 

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बतादें कि क़रीब 20 महीने पहले ही नीतीश ने बीजेपी से अपना 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ कर आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था।

हालांकि इससे पहले बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी नेता सुशील मोदी के साथ वाली सरकार काफी सफल रही थी। इतना ही नहीं सरकार चलाते हुए सुशील मोदी और नीतीश के बीच कभी भी किसी बात को लेकर मनमुटाव नहीं देखा गया। नीतीश और सुशील मोदी आम तौर पर काम-काज को लेकर एक दूसरे की तारीफ़ करते ही दिखे।

बिहार में 17 साल तक बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को चलाने में कहीं-न-कहीं नीतीश कुमार और सुशील मोदी की भी बड़ी भूमिका रही है। लालू प्रसाद इन दोनों पर निशाना साधते हुए कहते थे कि सुशील मोदी, नीतीश के अटैची है। लालू कई बार सुशील मोदी को नीतीश का पोसुआ सुग्गा (पालतू तोता) भी बुलाते थे।

सुशील मोदी हमेशा ही नीतीश कुमार के लिए मजबूत ढाल बने रहे हैं। ये सुशील मोदी ही थे जिन्होंने खुलेआम कहा था कि पीएम बनने के लिए नीतीश कुमार भी नरेंद्र मोदी से कम योग्य नेता नहीं हैं।

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बता दें कि उस वक़्त बिहार बीजेपी में नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के लेकर कानाफूसी चल रही थी। हालांकि तब ये तर्क दिया गया था कि सुशील मोदी लाल कृष्ण आडवाणी खेमे के हैं, इसलिए ऐसा कह रहे हैं। इतना ही नहीं आडवाणी भी नीतीश को काफी पसंद करते रहे हैं।

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि केवल सुशील मोदी ही हमेशा नीतीश का बचाव करते रहे हैं। नीतीश भी कई बार सार्वजनिक तौर पर सुशील मोदी के लिए खड़े हुए हैं।

बिहार के फारबिसगंज के भजनपुरा में पुलिस फायरिंग में मारे गये छह अल्पंख्यकों वाले प्रकरण में नीतीश कुमार ने बिना किसी ठोस कार्रवाई के चुप्पी साध ली थी। बताया जाता है कि यह मुद्दा सुशील मोदी के करीबी की फैक्ट्री से जु़ड़ा मामला था इसलिए नीतीश ने खुलकर विरोध नहीं किया।

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सुशील मोदी हमेशा लालू और उनके परिवार पर 'बेनामी संपत्ति' और कई अन्य भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर निशाना साधते रहे। साथ ही नीतीश कुमार द्वारा पीएम मोदी के फैसले पर समर्थन को लेकर भी सुशील मोदी ने नीतीश की तारीफ़ की थी।

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से दोनो साथ आ गए हैं। नीतीश कुमार ने महागठबंधन से इस्तीफे के बाद गुरुवार को फिर से बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

बिहार: जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की फिर बनी सरकार, नीतीश बने सीएम, सुशील मोदी डिप्टी सीएम

Source : News Nation Bureau

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