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राष्ट्रपति चुनाव 2017: कोविंद पर बंटा विपक्ष, 22 की बैठक से पहले नीतीश और मायावती ने दिए सकारात्मक संकेत

बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की तरफ से बिहार के गवर्नर राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद विपक्ष में फूट पड़ती दिखाई दे रही है।

Updated on: 20 Jun 2017, 03:54 PM

highlights

  • राष्ट्रपति चुनाव: कोविंद की उम्मीदवारी पर नीतीश और मायावती सहज
  • हालांकि कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कोविंद के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के पक्ष में

नई दिल्ली:

बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की तरफ से बिहार के गवर्नर राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद विपक्ष में फूट पड़ती दिखाई दे रही है।

22 को होने वाली विपक्ष की बैठक से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नीतीश कुमार ने कोविंद की उम्मीदवारी को लेकर सहमति जताई है।

हालांकि कांग्रेस, वामपंथी दल और तृणमूल कांग्रेस कोविंद के खिलाफ उम्मीदवार उतारने पर विचार कर सकते हैं।

एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोविंद से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, 'बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर मेरे लिए यह खुशी की बात है कि हमारे राज्यपाल को अगले राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाया गया है।' हालांकि उन्होंने समर्थन को लेकर कुछ भी कहने से मना कर दिया।

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कुमार ने कहा, 'अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि विपक्षी नेताओं के बीच राष्ट्रपति उम्मीदवार के समर्थन को लेकर चर्चा होनी है।' उन्होंने कहा कि मैंने अपनी भावना से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद और कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी को अवगत करा दिया है।

वहीं लखनऊ में मायावती ने कहा कि दलित उम्मीदवार को लकेर बसपा का रुख नकारात्मक नहीं हो सकता। मायावती ने कहा, 'राष्ट्रपति पद के लिए किसी दलित को उम्मीदवार बनाए जाने के मामले में दलित का रुख नकारात्मक नहीं हो सकता। अगर विपक्ष किसी दलित को इस पद के लिए उम्मीदवार नहीं बनाता है तो हमारा रुख सकारात्मक रहेगा।'

वहीं दक्षिण की बड़ी पार्टी द्रमुक के लिए भी किसी दलित की उम्मीदवारी का विरोध मुश्किल होगा। कोविंद उत्तर प्रदेश के दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

माना जा रहा है कि विपक्ष कोविंद के बदले किसी दलित नेता को अपना चेहरा बना सकता है। कोविंद की नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि अभी उसके पास समर्थन को लेकर कहने के लिए कुछ नहीं है लेकिन बीजेपी ने उनसे नाम की घोषणा के पहले कोई सहमति नहीं बनाई।

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'हां यह सही है कि सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री को इस बारे में बताया लेकिन उन्होंने इस बारे में फैसला पहले ही ले लिया था। हम इसकी उम्मीद नहीं कर रहे थे।'

कांग्रेस ने अभी तक कोविंद को समर्थन देने के बारे में कुछ नहीं कहा है। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों की बैठक होगी, जिसमें कोविंद को समर्थन देने या फिर अपना उम्मीदवार खड़ा किए जाने के बारे में फैसला लिया जाएगा।

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वहीं सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि नीलम संजीव रेड्डी के अलावा राष्ट्रपति पद के लिए हमेशा ही चुनाव हुआ है। उन्होंने कहा, 'हम एपीजे कलाम के खिलाफ नहीं थे लेकिन हमने कैप्टन लक्ष्मी सहगल को उम्मीदवार बनाया। यह एक राजनीतिक चुनाव है। इसलिए मुझे लगता है कि विपक्ष को अपना उम्मीदवार बनाना चाहिए। विपक्ष की बैठक 22 को होगी और हम उम्मीदवार सामने रखेंगे।'

सीपीआई महासचिव डी राजा भी विपक्ष के उम्मीदवार को उतारे जाने के पक्ष में है।

येचुरी ने कहा कि कोविंद बीजेपी के प्रवक्ता रहे हैं और उन्होंने सीधे तौर पर रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों का विरोध किया। वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि देश में अन्य दलित नेता भी है। उन्होंने कहा, 'देश में अन्य दलित नेता है। वह बीजेपी दलित मोर्चा के नेता रहे हैं इसलिए उन्होंने कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया।'

वहीं आरपीआई पार्टी के अध्यक्ष रामदास अठावले ने कहा कि वह कोविंद के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से समर्थन मांगेगे। अठावले ने उम्मीद जताई कि कि पवार उनकी बात जरूर सुनेंगे।

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