कोविड-19 (Covid19) को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच बसों और ट्रेनों समेत सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं बंद होने के कारण पंजाब और हरियाणा के अलावा दिल्ली के कई हिस्सों से प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार स्थित अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. इनमें से कुछ मजदूर पत्नी और बच्चों के साथ पैदल ही लंबी दूरी तय कर रहे हैं तो कई जगहों पर सैकड़ों मजदूर फंसे हैं. हालांकि इन लोगों के लिए बिहार सरकार (Bihar Govt) ने तमाम इंतजाम करने का दावा किया, मगर हकीकत कुछ और ही नजर आई है.
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बिहार के लोगों की मदद के लिए दिल्ली के बिहार भवन में तीन हेल्पलाइन नंबर शुरू किए गए थे. बिहार सरकार दावा कर रही है कि उसने दिल्ली में बिहार के लोगों के लिए रहने और खाने का इंतजाम किया है. ताकि पलायन न हो. लिहाजा हमारी टीम इस भवन का जायजा लेने पहुंची. लेकिन यहां की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी. सच्चाई बिहार सरकार के दावे के बिल्कुल उलट थी. हमारे संवाददाता ने देखा कि रविवार के दिन बिहार भवन बंद पड़ा था.
उधर, 24 घंटों चलने वाले हेल्पलाइन नंबरों ने भी काम करना बंद कर दिया है. बार-बार फोन करने के बाद जब नंबर नहीं लग रहे. किसी से बात ही नहीं हो रही. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने यह बात कही है. राजद ने ट्वीट कर कहा, 'बिहार सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर्स काम नहीं कर रहे, कैसे होगी मदद? राजद कार्यालय प्रतिदिन हजारों कॉल्स ले रहा है.' विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री नीतीश से अपील की कि आप अपनी पार्टी को ऐक्टिवेट काहे नहीं करते?'
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मसलन, बिहार भवन बंद होने के विषय पर हमारे संवाददाता रजनीश सिन्हा ने बिहार के सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार ने बातचीत की. मंत्री नीरज कुमार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि बिहार भवन के अंदर अधिकारी, पदाधिकारी मौजूद हैं. हेल्पलाइन नंबर के जरिए सभी को मदद दी जा रही है. उन्होंने कहा कि ताला बंद होने से काम बंद नहीं होता है. सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार ने भी यह दावा किया कि 17000 लोगों को अब तक हेल्पलाइन नंबर से मदद दी गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने आदेश निर्गत किया है मदद में कौतही ना होनी चाहिए.
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया गया है. ऐसे में बिहार के बाहर मेहनत-मजदूरी करने वाले श्रमिकों का बड़ा तबका बेहद परेशान है. उनका रोजगार ठप्प हो गया है, करने को काम नहीं और खाने को अनाज नहीं मिल रहा है. मकान का किराया और खाने लायक पैसा भी नहीं है. लिहाजा ये लोग अपने गांव की तरफ लौटने की कोशिश में कई-कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. जहां के तहां फंसे हुए हैं.
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