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नितिन गडकरी ने उद्योग जगत को कहा- MSMI के बकाये रुपयों का जल्द करें भुगतान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को उद्योग जगत से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) का भारी मात्रा में लंबित बकाये का यथाशीघ्र भुगतान करने को कहा.

Updated on: 14 Apr 2020, 06:27 PM

दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को उद्योग जगत से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) का भारी मात्रा में लंबित बकाये का यथाशीघ्र भुगतान करने को कहा. उन्होने कहा कि इससे क्षेत्र की समस्या थोड़ी कम होगी और बाजार में नकदी का प्रवाह होगा. उद्योग मंडल फिक्की के सदस्यों के साथ वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये चर्चा में एमएसएमई मंत्री गडकरी ने बड़े उद्योगों से छोटी इकाइयों के बकाये का भुगतान करने को कहा.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा, बड़े उद्योगों पर एमएसएमई (MSMI) का काफी पैसा बकाया है. हम पहले इस प्रकार के भुगतान को जल्द करने को लेकर कानून बनाने पर विचार कर रहे थे. लेकिन अभी इसके लिये उपयुक्त समय नहीं है. हम उस रास्ते पर नहीं जाना चाहते.’ सरकार का कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न संकट से एमसएमई को संरक्षित करने का प्रयास है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 29 प्रतिशत का योगदान करता है.

एमएसएमई के लिये सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है

गडकरी ने कहा, ‘हमने एमएसएमई के लिये (कारोबार) सीमा बढ़ाने का निर्णय किया है. इस संदर्भ में आदेश 8-10 दिनों में आने की उम्मीद है. इससे उनका दायरा स्वभाविक रूप से बढ़ेगा.’

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सूक्ष्म इकाई वो है जिसका सालाना कारोबार 5 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होगा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2018 में संयंत्र एवं मशीनरी/उपकरणों में निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों का वर्गीकरण करने की व्यवस्था को बदलकर सालाना कारोबार करने को मंजूरी दी थी. एमएसएमई मंत्रालय ने कहा था कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम विकास (एमएसएमईडी) कानून, 2006 में संशोधन किया जाएगा ताकि इकाइयों को सालाना कारोबार के संदर्भ में परिभाषित किया जा सके. नई परिभाषा के तहत सूक्ष्म इकाई उसे माना जाएगा जिसका सालाना कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा.

आर्थिक नजरिये से यह कठिन समय है

वहीं लघु उद्यम के अंतर्गत वे इकाइयां आएंगी जिनका कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 75 करोड़ रुपये से कम हो. वहीं मझोले उद्यम के अंतर्गत वे इकाइयां आएंगी जिनका सालाना कारोबार 75 करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 250 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होगा. मंत्री ने कहा कि आर्थिक नजरिये से यह कठिन समय है. उन्होंने भरोसा जताया कि यह देश के एमसएएमई क्षेत्र के लिये लाभकारी साबित होगा.

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 एक लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज को बीमा सुरक्षा दी है

उन्होंने कहा, ‘हमने बैंकों को 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान कर एमएसएमई को दिये गये एक लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज को बीमा सुरक्षा दी है. इस कर्ज के लिये 75 प्रतिशत की गारंटी ली गयी है जबकि 25 प्रतिशत गारंटी बैंकों को वहन करनी है.’

गडकरी ने कहा, ‘स्पष्ट रूप से हम गारंटी सीमा कम करने का प्रयास कर रहे हैं. हम वित्त मंत्रालय से कर्ज सीमा एक लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये करने को कहेंगे ताकि एमएसएमई के लिये ऋण मिलना आसान हो.’